लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में राजद-कांग्रेस और भाजपा को धूल चटाने का दावा करने वाली असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने चुनाव मैदान में उतरने से पहले ही हथियार डाल दिए हैं। बिहार की 13 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर चुकी एआईएमआईएम अब बैकफुट पर आ गई है और सीमांचल में सिर्फ दो सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। जबकि एआईएमआईएम का दावा रहा है कि सीमांचल में उनकी मजबूत पैठ बन चुकी है। एआईएमआईएम अब सिर्फ किशनगंज और अररिया सीट पर लड़ेगी। पार्टी इस बार के चुनाव में पूर्णिया और कटिहार नहीं लड़ेगी। बिहार में ओवैसी की पार्टी के एकमात्र विधायक और प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने हवाला दिया कि ओवैसी को बिहार में चुनाव प्रचार करने के लिए अधिक समय नहीं मिल पा रहा है।

इसलिए पार्टी ने फैसला लिया है कि सीमांचल की सिर्फ दो सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने किशनगंज सीट से चुनाव मैदान में उतरने का दावा किया है। एआईएमआईएम के इस ऐलान के बाद महागठबंधन को बड़ी राहत मिली है। कहा जा रहा था कि सीमांचल में ओवैसी लालू और राहुल गांधी का खेल बिगाड़ सकते हैं।

हालांकि मैदान में उतरने से पहले ही ओवैसी ने हथियार डाल दिए हैं। एआईएमआईएम के इस फैसले पर जदयू ने हमला बोला है। जदयू ने आरोप लगाया है कि ओवैसी ने पैसे लेकर अपना फैसला बदला है। जदयू विधान पार्षद खालिद अनवर ने आरोप लगाया है कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के इस ऐलान से साफ हो गया है कि उसने महागठबंधन की सहयोगी हो गई है या फिर पैसे का खेल किया गया है।

लेकिन जनता सब कुछ देख रही है, इसका माकूल जवाब देगी। उल्लेखनीय है कि सीमांचल में एआईएमआईएम की पकड़ मजबूत मानी जाती है और 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पांच विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था। इससे महागठबंधन को तगड़ा झटका लगा था। लेकिन इस फैसले से फिलहाल महागठबंधन को बड़ी राहत मिलती दिख रही है।