तौक़ीर सिद्दीक़ी

राजनीति भी क्या चीज़ है, गधे को भी बाप बना देती है. माफ़ कीजियेगा यह सिर्फ एक मुहावरा है लेकिन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की तरफ से जिस तरह जेल में बंद सपा नेता आज़म खान को बड़ा भाई कहकर उन्हें जो प्रस्ताव भेजा गया उसपर यह कहावत पूरी तरह चरितार्थ होती है. मैं फिर बता दूँ मैं आज़म खान को गधा नहीं कह रहा हूँ, AIMIM की अवसरवादिता की बात कर रहा हूँ.

दरअसल सपा के दिग्गज नेता आज़म खान को लेकर आजकल काफी सियासत गर्म है, सपा प्रमुख अखिलेश यादव से उनकी नाराज़गी की ख़बरें प्रमुखता से अख़बारों में छप रही हैं और न्यूज़ चैनलों पर चल रही हैं और इस सब की शुरुआत रामपुर में आज़म खान के ऑफिस से हुई. आज़म खान तो जेल में बंद हैं लेकिन उनके प्रवक्ता ने आज़म खान को लेकर अखिलेश यादव पर जो आरोप लगाए उससे लोगों को राजनीतिक अफवाहों के बाजार को गर्म करने का एक मौका दे दिया.

इसी मौके को भुनाने के लिए AIMIM ने आज़म खान को प्रेम की चाशनी में भरा एक खत लिखा जिसमें उन्हें पतंग उड़ाने की पेशकश की गयी. पत्र को पढ़कर तो ऐसा लग रहा था कि अपने बिछड़े भाई को पाने के लिए ओवैसी में कितनी तड़प है. AIMIM के प्रदेश प्रवक्ता की ओर से जारी इस पत्र में आज़म को बड़ा भाई बताते हुए कहा गया कि जब वह कोरोना से पीड़ित होकर मेदांता अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे तो पूरा देश उनकी सलामती की दुआएं मांग रहा था . पत्र में आज़म खान को जानकारी दी गयी कि जब वह सेहतयाब होकर सीतापुर जेल वापस लौटे तो अखिलेश यादव उनसे मिलने तक नहीं गए.

पत्र में आज़म खान को बताया गया कि वह 26 महीने से जेल में बंद हैं और पूरा मुस्लिम समाज इस दर्द को सह रहा है लेकिन यादव फैमिली को बिलकुल अफ़सोस नहीं। ओवैसी की पार्टी की ओर से आज़म को जानकारी दी गयी कि अखिलेश यादव ने आपकी फोटो लगाकर आपके समर्थकों के वोट तो ले लिए लेकिन विपक्ष का नेता आपको बनाने के बजाय खुद लीडर ऑफ़ अपोज़िशन बन बैठे। AIMIM ने आज़म खान जैसे खांटी नेता को यह बताया आपके खिलाफ हो रहे ज़ुल्म के खिलाफ ओवैसी ने आपको बड़ा भाई मानकर आवाज़ उठाई। और पत्र में सारी मिठास उंडेलने के बाद अंत में AIMIM उन्हें साथ मिलकर सपा को उखाड़ने की दावत दे डाली। खबर है कि जल्द ही AIMIM एक डेलीगेशन सीतापुर जेल जाकर बाकायदा आज़म खान से मुलाक़ात करके उन्हें औपचारिकता न्योता देगा।

दरअसल असदुद्दीन ओवैसी खुद को मुसलमानों का मसीहा साबित करना चाहते हैं हालाँकि AIMIM को लोग भाजपा की मददगार पार्टी के रूप में जानते हैं. ओवैसी कहते हैं कि वह मुसलमानों की क़यादत खड़ी करना चाहते हैं जिसके लिए उनकी सारी कोशिशें उनके गृह राज्य तेलंगाना के बाहर होती हैं. तेलंगाना में तो वह हैदराबाद में ही सिर्फ नौ दस सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारते हैं लेकिन जब यूपी, बिहार, बंगाल और महाराष्ट्र पहुँचते हैं तो उनके उम्मीदवारों की संख्या में दस गुना इज़ाफ़ा हो जाता है.

बहरहाल देखना है कि मुसलमानों के खुदसाख़्ता मसीहा की पेशकश को आज़म खान क्या जवाब देते हैं, फिलहाल तो नाराज़गी की सारी बातें राजनीतिक चर्चा भर लग रही हैं.