नयी दिल्ली: किसान आंदोलन को लेकर चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के बीच कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी दलों ने संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने की घोषणा की है।

16 राजनीतिक दलों ने जारी किया बयान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि 16 राजनीतिक दलों ने कल राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का बयान जारी किया है। इसका प्रमुख कारण पिछले सत्र में विपक्ष की गैर मौजूदगी में कृषि संबंधित तीन कानूनों को सरकार द्वारा बलपूर्वक पारित कराना है। कल राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ ही बजट सत्र शुरू हो रहा है ।

कृषि कानूनों पर मनमानी
विपक्षी दलों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को मनमाने ढंग से लागू किया है जिससे देश की 60 प्रतिशत आबादी पर आजीविका का संकट पैदा हो गया है। इससे करोड़ों किसान और खेतिहर मजदूर सीधे प्रभावित हो रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले 64 दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और 155 से ज्यादा किसान अपनी जान गंवा चुके हैं।

इस बयान पर श्री आजाद के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्य सभा में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला, द्रविड मुनेत्र कषगम के टी आर बालू, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, शिवसेना के संजय राउत, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के इलावरम करीम, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनय विस्वम, आईयूएमएल के पी. के. कुंझालीकुट्टी, आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन, पीडीपी के नजीर अहमद लावे, मरुमलारची द्रविड मुनेत्र कषगम के वाइको, केरल कांग्रेस के थामस चाजीकदान और अखिल भारतीय यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बदरुद्दीन अजमल ने हस्ताक्षर किये हैं।