बिजनेस ब्यूरो
अनियमित मानसून के चलते प्याज के भाव आसमान छू सकते हैं क्योंकि इसकी आवक प्रभावित हो रही है. खरीफ की फसल आने में देरी और तूफान ताउते के चलते स्टॉक में मौजूद प्याज अधिक दिनों तक बने रहने में सक्षम नहीं है. इन दोनों कारणों से प्याज के भाव बढ़ सकते हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो साल से अगस्त-सितंबर की असमय बारिश से प्याज की आवक प्रभावित हुई है और 2018 में जब यह सामान्य था, उसके मुकाबले इसके भाव दोगुने हो गए. अब क्रिसिल की रिसर्च में अनुमान लगाया गया है कि इस साल इसके भाव में 100 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में प्याज की फसल प्रभावित हुई है और साइक्लोन के चलते स्टोर की हुई रबी की फसल में नमी अधिक है जिसके चलते इसकी लाइफ कम हो रही है.
देश भर में औसतन हर महीने 13 लाख टन प्याज की खपत है. यह फसल तीन हिस्सों में आता है- खरीफ, लेट खरीफ और रबी. इस प्रकार प्याज लगभग पूरे साल भर बाजार में उपलब्ध रहता है. प्रमुख उत्पादकों की बात करें तो देश भर में खरीफ प्याज का सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में होता है.
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