लखनऊ ब्यूरो
केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के खिलाफ नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने आज उत्तर प्रदेश का में शिक्षा बचाओ देश बचाओ अभियान की शुरुआत की।

एनएसयूआई का मानना है नयी शिक्षा नीति केंद्रीकरण व शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती है। साथ ही यह शिक्षा विरोधी नीति तब लायी गयी जब पूरे देश में कोविड कहर का दौर था। उद्देश्य साफ है मोदी सरकार शिक्षा को भी सिर्फ अमीरों के लिए एक सुविधा जैसा बनाना चाहती है। गरीब बच्चों के भविष्य के साथ यह सीधा खिलवाड़ है।

शिक्षा बचाओं देश बचाओ अभियान को एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रदेश प्रभारी शौर्यवीर सिंह जी एवं प्रदेश अध्यक्ष अनस रहमान जी ने लॉन्च किया।

एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रदेश प्रभारी शौर्यवीर का कहना है कि बीजेपी सरकार निजीकरण नौकरियां, आरक्षण व भविष्य सब बर्बाद कर देगा। सरकारी संस्थानों के निजीकरण से देश के युवाओं के लिए स्थायी रोजगार के अवसर खत्म हो जाएंगे। अब तो नयी शिक्षा नीति भी निजीकरण को बढ़ावा दे रही है तो गरीब जाए तो जाए कहाँ। साथ ही एसएससी, एनईईटी, जेईई जैसे सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में घोटाले सामने आना व युवाओं को वर्षों तक नौकरी नहीं देना यह साफ बताता है कि मोदी सरकार छात्र विरोधी है। अगर हम छात्र वर्ग के लिए कोई नीति बना रहें हैं तो हमारा कर्तव्य बनता हैं कि हम उनसे चर्चा करें, लेकिन वर्तमान सरकार की आदत बन चुकी हैं कि सभी कार्य तानाशाही तरीके से लागू करते हैं।

एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष अनस रहमान जीका कहना है कि जब से बीजेपी सरकार सत्ता में आई हैं तब से छात्रों की फैलोशिप एवं स्कॉलरशिप रोकी जा रहीं हैं, प्रवेश परीक्षाओं में घोटाले हो रहें हैं तथा परीक्षाओं के परिणाम देरी से आ रहे हैं। जिसके कारण छात्रों के 2 से 3 साल बर्बाद हो जाते हैं।

एनएसयूआई केंद्र सरकार से मांग करती हैं कि केंद्रीय स्तर एवं प्रदेश स्तर पर छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में आयु सीमा में कम से कम 2 साल की छूट दी जाएं। क्योंकि कोरोना काल में छात्रों के 2 साल पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं।

गौरतलब है कि कोरोना काल के नुकसान के बाद छात्र अब तक नुकसान से नहीं उबर पाए है और एनएसयूआई के इस आंदोलन ने छात्रों की मांगों को आवाज दी है।