तौक़ीर सिद्दीक़ी
24 दिसंबर को लखनऊ के जानकीपुरम में पहली बार स्पॉट हुआ तेंदुआ 28 दिसंबर से लापता है, वन विभाग के अनुसार अंतिम बार उसे सीतापुर के अटरिया गांव में देखा गया था, अभी ताज़ा जानकारी के अनुसार हरदोई के कई गांवों में तेंदुए के पैरों के निशान मिले हैं. अब यह कहना मुश्किल है कि क्या यह वाकई वही तेंदुआ है जो लखनऊ की गलियों और छतों पर छलांगे मार रहा था या फिर तीन चार तेंदुओं के होने की जो बातें गश्त कर रही हैं उनमें कोई सच्चाई है. हालाँकि वन विभाग सिर्फ एक तेंदुए की बात कर रहा है.

हरदोई से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक कछौना, माधौगंज व बघौली क्षेत्र के गांवों में तेंदुए के पैरों के निशान मिले हैं, जिसके कारण वहां आसपास के गावों में दहशत फ़ैल गयी है. हालाँकि वन विभाग की टीम कॉम्बिंग कर रही है लेकिन तेंदुआ उनकी पकड़ में नहीं आ रहा है. हरदोई के DFO के मुताबिक पैरों के निशान मिलने वाली जगहों पर पिंजरे लगाए गए हैं इसके अलावा ड्रोन से भी तेंदुए की लोकेशन ट्रेस की जा रही है.

तेंदुए को पकड़ने के लिए दुधवा नेशनल पार्क की डब्लू डब्लू एफ टीम भी वन विभाग के साथ आ गयी है।

वहीँ लखनऊ के डीएफओ डा. रवि कुमार सिंह के मुताबिक पिछले 24 घंटों में लखनऊ में किसी क्षेत्र में तेंदुए की लोकेशन नहीं मिली है।

बता दें कि एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार 28 दिसंबर की रात को उसने लखनऊ-महमूदाबाद मार्ग पर नि‍ंदूरा के पास तेंदुए सड़क पार करते हुए देखा था, इसके बाद ही वन विभाग ने सीतापुर में तेंदुए को देखे जाने की बात कही थी.

अब हरदोई में तेंदुए के पैरों निशान मिलने के बाद फिर वही सवाल उठता है कि क्या यह लखनऊ वाला ही तेंदुआ है या फिर कोई दूसरा, और अगर कोई दूसरा तेंदुआ है तो फिर लखनऊ में घूमने और लोगों को घायल करने वाला तेंदुआ कहाँ गया?