नई दिल्ली: अब राज्यों को ये हक मिल गया है कि वो ओबीसी की अपनी लिस्ट बनाएं क्योंकि लोकसभा में ओबीसी संशोधन बिल पास हो गया है. मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में ऐसा पहली बार दिखा जब विपक्ष चुपचाप अपनी जगह बैठकर बहस सुनता रहा

127वें संविधान संशोधन बिल के जरिए राज्यों को अधिकार मिल गया कि वो अपने क्षेत्र के हिसाब से ओबीसी लिस्ट बना सकें. लोकसभा में यह बिल दो तिहाई बहुमत से पास हो गया. निचले सदन में इस संविधान संशोधन विधेयक पर मतविभाजन के दौरान पक्ष में 385 मत पड़े और विपक्ष में कोई मत नहीं पड़ा.

इससे पहले बिल पर विस्तार से चर्चा की गई. चर्चा के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि इस बिल के आने के बाद राज्य सरकारों को ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार मिल जाएगा और मराठा आरक्षण जैसे मसलों पर राज्य सरकारें फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होंगी. कांग्रेस समेत अन्य सभी विपक्षी दलों ने भी इस बिल का समर्थन किया है. साथ ही विपक्षी दलों ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से बढ़ाने की मांग भी सदन में रखी है.

विपक्षी सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारत मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि जिस तरह सदन ने बिल का समर्थन किया वो स्वागतयोग्य है. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि बीजेपी की नीति और नीयत साफ है. कांग्रेस को जवाब देते हुए वीरेंद्र कुमार ने बताया कि जब 102वां संशोधन लाया गया था, तब भी कांग्रेस ने उसका समर्थन किया था. इसलिए अब कांग्रेस के पास सवाल उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है. उन्होंने मराठा आरक्षण पर जवाब देते हुए कहा कि ये राज्य का विषय है और अब केंद्र ने उन्हें इस पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र कर दिया है.