• दिवाली पर क्लाइमेट एजेंडा की रिपोर्ट हुई जारी, लगातार 5वें  वर्ष की गयी आंकड़ों की निगरानी,
  • प्रशासन के दावे हुए असफल, जम कर फूटे पटाखों ने बिगाड़ी बनारस की आबोहवा,  कोविड का खतरा बढ़ने के आसार,
  • आशापुर, पांडेयपुर, काशी स्टेशन, सारनाथ व कचहरी रहे सबसे अधिक प्रदूषित, रविन्द्रपुरी तुलनात्मक रूप से साफ़,
  • शहर के 18 जगहों पर की गयी निगरानी, पटाखों के साथ साथ खराब कचरा प्रबंधन और खस्ताहाल सड़कें मुख्य जिम्मेदार.
     

क्लाइमेट एजेंडा की ओर से हर वर्ष की तरह पाचवीं बार इस वर्ष भी दिवाली पर वाराणसी में वायु प्रदूषण की एक विस्तृत रिपोर्ट आज 16 नवम्बर 2020 को दिन में 12 बजे जारी की गयी. इस रिपोर्ट के अनुसार, कोविड 19 संक्रमण के खतरे के मद्देनजर, बनारस में वायु गुणवत्ता ठीक रखने के उद्देश्य से जारी NGT के दिशा निर्देशों की खुल कर अवहेलना हुई और जिला प्रशासन हर वर्ष की तरह इस बार भी मूकदर्शक बना रहा. पूर्ण रूप से पटाखा प्रतिबन्ध के लिए जारी आदेश को ताक पर रखते हुए काशीवासियों ने जहां एक तरफ जम कर पटाखे बजाये, वहीं दूसरी ओर इन पटाखों से शहर में पी  एम 2.5 और पी एम 10 का स्तर भारत सरकार के मानकों की तुलना में क्रमशः 4 और साढ़े 4 गुना अधिक रहा. प्राप्त आंकड़ों से यह साफ़ जाहिर है कि न केवल बच्चे, बूढ़े बल्कि कोविड  के मरीजों की सुरक्षा को भी ताक पर रखा गया और जिला प्रशासन मूक दर्शक बना रहा. 

शहर के 18  विभिन्न इलाकों में वायु गुणवत्ता जांच की मशीने लगा कर दिवाली की अगली सुबह 3 बजे से 8 बजे तक यह आंकड़े एकत्र किये गए. प्राप्त आंकड़ों के बारे में मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया “शहर में शहर में पी एम 10 मुख्य प्रदूषक तत्व रहा. आशापुर सबसे अधिक प्रदूषित रहा जहां पी एम 10 और पी एम 2.5 की मात्रा भारत सरकार के मानकों की तुलना में क्रमशः 4 और साढ़े 4 गुणा अधिक पाया गया, जबकि दूसरे स्थान पर पांडेयपुर क्षेत्र रहा जहां उपरोक्त प्रदूषक कण क्रमशः 4 और साढ़े 3 गुणा रहा. शीर्ष 5 प्रदूषित क्षेत्रों में आशापुर, पांडेयपुर के अलावा सारनाथ, काशी स्टेशन और कचहरी पाया गया, जबकि तुलनात्मक तौर पर रविन्द्रपुरी क्षेत्र थोड़ा साफ़ रहा जहां पी एम 2.5 और पी एम 10 मानक से दो गुणा अधिक पाया गया.  (विस्तृत टेबल संलग्न).

कोविड संक्रमण के खतरों के बारे में एकता शेखर ने कहा “विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरास्ट्रीय एजेंसियों द्वारा जारी अध्ययनों के अनुसार हवा में बढ़ते हुए प्रदूषण से कोविड 19 संक्रमण भी बढ़ने का खतरा पाया गया है. इन्ही अध्ययनों का संज्ञान लेते हुए माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने अत्यधिक प्रदूषित हवा वाले शहरों में पटाखे के क्रय विक्रय पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने का आदेश जारी किया था. इसके अनुपालन की जिम्मेदारी राज्य शासन ने सम्बंधित जिला प्रशासनों को दी थी लेकिन उक्त आदेश की अवहेलना करने वालों के सामने जिला प्रशासन बौना साबित हुआ. इससे न केवल शहर की आबोहवा खराब हुई, बल्कि श्वांस संबंधी रोगों का उपचार कराने वाले सहित अन्य बच्चे, बूढ़े व कोविड 19 के मरीजों के सामने एक विकत परिस्थिति पैदा हुई है. प्रशासन ने जिम्मेदारी का परिचय दिया होता, तो ऐसा होने से रोका जा सकता था.”

संस्था के हवाले से जारी रिपोर्ट में पी एम 10 के चिंताजनक आंकड़े बताते हैं कि पटाखों के साथ साथ शहर की खस्ताहाल सड़कें और बेहद खराब कचरा प्रबंधन भी जिम्मेदार है. हालांकि, शहर में तीन नए वायु गुणवत्ता मापन यंत्रों की स्थापना सम्बन्धी पिछले सप्ताह जारी आदेश एक अच्छी पहल है, जिसे काफी पहले ही लिया जाना चाहिए था.