रिलायंस इंडस्ट्रीज जियो फोन का एक ऐसा वर्जन लाना चाहती है, जो गूगल के एंड्रॉयड पर चले और फोन की कीमत लगभग 4000 रुपये हो. इसके लिए कंपनी डॉमेस्टिक असेंबलर्स से बात कर रही है. इन फोन्स को रिलायंस जियो के लो कॉस्ट वायरलेस प्लान के साथ बेचा जाएगा. इसके साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज ने लोकल सप्लायर्स को भारत में उत्पादन क्षमता बढ़ाने को कहा है ताकि वे अगले दो सालों में 20 करोड़ स्मार्टफोन बना सकें.

सूत्रों के मुताबिक, यह देश की टेक्नोलॉजी महत्वाकांक्षाओं के लिए बिग बूस्ट और शाओमी जैसी प्रतिद्वंदी कंपनियों के लिए चेतावनी हो सकती है. आरआईएल के चेयरमैन मुकेश अंबानी की नजर देश की स्मार्टफोन इंडस्ट्री के पुनर्निमाण पर है, जैसा कि उन्होंने वायरलेस सर्विस के मामले में किया. अंबानी भारत सरकार की योजनाओं के साथ भी चल रहे हैं, जिनके तहत देश में डॉमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने और डिक्सन टेक्नोलॉजीस इंडिया, लावा इंटरनेशनल व कार्बन मोबाइल्स जैसे लोकल असेंबलर्स के लिए संभावित बूस्ट पर फोकस है.

अगले दो सालों में 15 करोड़ से 20 करोड़ तक फोन बेचने का रिलायंस का लक्ष्य लोकल फैक्ट्रियों के लिए बिग बूस्ट का प्रतिनिधित्व करेगा. इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन के मुताबिक, भारत ने पिछले वित्त वर्ष में लगभग 16.5 करोड़ स्मार्टफोन और लगभग इतने ही बेसिक फीचर फोन असेंबल किए. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस की प्रतिद्वंदी भारती एयरटेल भी अपनी 4जी डिवाइस की मैन्युफैक्चरिंग को लेकर असेंबलर्स से बातचीत कर रही है.

अभी जियो के लगभग 40 करोड़ यूजर में से ज्यादातर नो फ्रिल्स सेकंड जनरेशन डिवाइस इस्तेमाल करते हैं और वॉइस कॉल व डेटा के लिए लगभग 147 रुपये महीना खर्च करते हैं. यह रिलायंस की नई डिवाइस के लिए एक बड़ी संभावना वाला बाजार है. रिलायंस का सस्ता स्मार्टफोन शाओमी जैसी चीनी फोन कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी कम कर सकता है. रिलायंस नई डिवाइस को जल्द से जल्द लाने की तैयारी में है लेकिन इस बार दिवाली सीजन पर इसके आने की संभावना नहीं है.

काउंटर प्वॉइंट रिसर्च में रिसर्च डायरेक्टर नील शाह का कहना है कि जियो के पास 50 करोड़ से ज्यादा ऐसे भारतीयों को टार्गेट करने का मौका है, जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है. अगर रिलायंस इस बेस के 10 फीसदी को भी अपग्रेड करने में सफल हो जाती है तो जियो 2021 के दिग्गज स्मार्टफोन ब्रांड्स में से एक हो सकती है.