बज्मे अरबाब ए सुखन ने किया मुशायरा और सम्मान समारोह का आयोजन

फहीम सिद्दीकी

फतेहपुर बाराबंकी।
कल रात बज्मे अरबाब ए सुखन द्वारा मुशायरा एवं सम्मान समारोह का आयोजन मस्तान रोड पर किया गया। कार्यक्रम की सरपरस्ती हाजी नसीर अंसारी ने अध्यक्षता पूर्व चेयरमैन मो मशकूर ने और संचालन अहमद सईद ने किया। बज्मे अरबाब ए सुखन के संस्थापक कारी अब्दुल सत्तार बिलाली मेहमानों की गुलपोशी एवं अंगवस्त्र पहनाकर कर स्वागत किया। इस मौके पर संस्था की ओर से मो मशकूर को रहबर ए कौम अवार्ड,हाजी नसीर अंसारी को साजिद फतेहपुरी अवार्ड,डॉक्टर समर सिंह को कौमी एकता अवार्ड एवं अहमद सईद हर्फ को खादिम ए कौम के अवार्ड से सम्मानित किया गया।

मो मशकूर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा ये मुशायरे हमारे लिए बहुत महत्व रखते है क्योंकि ऐसे प्रोग्रामो से उर्दू जबान को बढ़ावा मिलता है,यहां से हमे बातचीत करने और जिंदगी जीने का तरीका सीखने को मिलता है।उर्दू एक ऐसी जबान है जो कानों में मोहब्बत का रस घोलती है,उर्दू ने हमेशा मोहब्बत का पैगाम दिया है। डॉक्टर समर सिंह ने कहा कि हमारा कस्बा फतेहपुर हमेशा से अमन व मोहब्बत का गहवारा रहा है,यहां का सौहार्द पूरे हिंदुस्तान में मशहूर है। हाफिज अब्दुल हई की तिलावत ए कलाम पाक से मुशायरा की शुरुवात हुई। तिलावते-कलाम से शुरू होने वाले इस महफिले-मुशायरे का आगाज़ हुआ.

बांटे जो नफरतों के अंधेरे वो हम नही,
हमने सदा चराग मोहब्बत जलाए है।
नसीर अंसारी

अदल के सूरज ने मेरी बेगुनाही देख ली,
और अंधेरे मुझ पे तोहमत ही लगाते रह गए।
राही सिद्दीकी

शमा भाई चारे की हमको जलाना चाहिए,
दिल से नफरत के अंधेरों को मिटाना चाहिए।
कारी अब्दुल सत्तार बिलाली

एक हो जाएं अमन के पंक्षी,
सारे नाकाम जाल हो जाएं।
अहमद सईद हर्फ

मिलेगा दर्द एक दिन इस कदर तेरी जुदाई में,
अगर ये जानते हरगिज मोहब्बत ना करते।
कारी परवेज यजदानी

गम था सूरज को भी बिछड़ने का,
शाम का भी उदास था चेहरा।
हसीब महमूदाबादी

कितनी खुशरंग मेरे हिंद की सूरत होती,
जितनी नफ़रत है अगर उतनी मोहब्बत होती।
हसन नईमी।


इस अवसर पर मुख्य रूप से पूर्व जिला पंचायत सदस्य नसीम गुड्डू, मुसाय्यब हुसैन,मौलाना मो0 शरीफ नदवी,सभासद खुर्शीद जमाल, पत्रकार विजय राम जयसवाल, जावेद अखतर, सय्यद खालिद महमूद, रिज़वान मुनीर, मास्टर मो इमरान, मो अकीक पप्पू, मुतीउल्लाह,गुड्डू खान, अब्दुल जब्बार राइन, मंजूर इदरीसी, सय्यद आतिफ हुसैन ज़ैदी उर्फ चाँद, मो0 हारून, हाफिज मो0 फैसल, बरकतउल्लाह सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे। आख़िर में कन्वीनर मुशायरा हस्सान साहिर ने सभी अतिथियों, शायरों, पत्रकारों, सभासदों एवं श्रोताओं के धन्यवाद ज्ञापित किया।