फिल्मों का हर पीढ़ी के ऊपर एक अलग असर होता है जिसको लेकर हर किसी की अपनी अलग अलग राय होती है। लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती है जो वास्तविकता से जुडी होती है और समाज के ऊपर एक अमिट छाप छोड़ जाती है। ऐसी वास्तविक फिल्मों में उन सभी कठिनाइयों और दिक्कतों को दिखाया जाता है जो कि वाकई जमीने स्तर से जुड़ी होती है और लोगों को संघर्षों से भागने के बजाय उनका मुकाबला कर जीत हासिल करना सिखाती है। लेकिन फिल्मों में असल जिंदगी से जुड़ी महिलाओं के संघर्ष की कहानियाँ केवल नाम मात्र की ही हैं। ऐसी ही महिलाओं और उनसे जुड़े संघर्षों की हकीकत बयाँ करने वाली कुछ क्षेत्रीय भाषा के साथ चुनिंदा, बेहतरीन फिल्में और डॉक्युमेंट्रीज़ लेकर आया है हर एंड नाउ फिल्म कैंपेन।

साल 2019 के अंत में, प्रोजेक्ट हर एंड नाउ ने महिला एंटरप्रेन्योरशिप के विषय पर फिल्म विचारों के लिए एक राष्ट्रव्यापी प्रतियोगिता शुरू की थी। जिसमे चयनित 100 प्रविष्टियों में से, बेस्ट केटेगरी की फिक्शनल, डॉक्यूमेंटरी एवं एनीमेशन फिल्मों का चयन किया गया। दिल्ली, पुणे, बेंगलुरु और चेन्नई से चार फिल्म मेकर्स को चयनित किया गया। इसी में से एक 15.50 मिनट की हिंदी डॉक्यूमेंट्री है “ऋतु गोज़ ऑनलाइन”। हर एंड नाउ फिल्म कैंपेन की शुरुआत 2020 में कोविड-19 महामारी के बीच हुई थी, जिसके चलते 19 नवंबर, 2020 को अंतर्राष्ट्रीय महिला एंटरप्रेन्योरशिप दिवस पर फिल्मों का डिजिटल प्रीमियर हुआ।

“ऋतु गोज़ ऑनलाइन” वो कहते है न कि ‘सफलता उम्र की मोहताज़ नहीं होती’ यह कहावत उन सभी लोगों पर लागू होती है जो कभी भी हार नहीं मानते और सफल होने के लिए लगातार प्रयत्नशील रहते है। सफलता की इसी इबारत को हकीकत में साबित किया है नजफ़गढ़, दिल्ली की रहने वाली ऋतु कौशिक ने। उनकी जिंदगी और सफलता से जुड़ी कहानी की शुरूआत होती है जब वह अपने उस स्कूल में जाती हैं जंहा से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की थी और वंहा मौजूद स्कूली बच्चों को अपनी कहानी बताती हैं कि किस तरह उन्हें स्कूल के बाद आगे कॉलेज पढ़ने का शौक था लेकिन कम उम्र में उनकी शादी ने उनका यह सपना तोड़ दिया। 15 सालों तक लगातार वह घर के कामों और जानवरों की देखभाल में लगी रही। लेकिन अंदर कुछ अलग कर गुजरने की एक आग थी।

घर गृहस्ती चलाने के साथ साथ ऋतु का जो बचपन का एक शौक था और वह था बैग का शौक। कहानी तब बदलती है जब एक बार ऋतु के बच्चे एक फ़ोन ऑनलाइन मंगाते है, जिसे देख ऋतु बड़ी ही जिज्ञासा के साथ अपने बच्चों से पूछती है कि क्या ऑनलाइन मंगाने के साथ साथ कुछ बेचा भी जा सकता है जिस पर उनके बच्चों का जवाब था कि ये भी तो किसी ने बेचा ही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ऋतु ने अपने बैग के बिज़नेस शुरू करने की योजना बनायीं। हालांकि शुरुआत में उन्हें घर और आस पड़ोस से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा परन्तु खुद पर विश्वास ने उन्हें आज एक सफल बिज़नेस चलाने वाली महिलाओं में शुमार कर दिया है। आज उनके द्वारा बेचे गए तमाम बैग्स अमूमन सारे ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर आसानी से वाज़िब दामों पर मिल जाते हैं । ऐसी महिलायें जो किसी कारणवश अपने सपनों को आयाम नहीं दे पाती उन सभी के लिए ऋतु कामयाबी की मिसाल है।

प्रोजेक्ट हर एंड नाउ के अंतर्गत तैयार की गयी इस डॉक्युमेंट्री फिल्म का मकसद महिलाओं को सशक्त बनाना तथा उनके अंदर के सपनों को पूरा करने की ललक जगाना है। “ऋतु गोज़ ऑनलाइन” डॉक्युमेंट्री सफलता की एक ऐसी ही वास्तविक कहानी है जो दिखाती है कि कैसे एक कम पढ़ी लिखी महिला आज के इस तकनीकी युग में अपने बिज़नेस को ऑनलाइन चला रही है और तरक्की की बुलंदियों को छू रही है। है। प्रोजेक्ट हर एंड नाउ के अंतर्गत ऋतु गोज़ ऑनलाइन, के अलावा कशमकश द डिलेमा, पहल एन इनिशिएटिव तथा सेल्वी एंड डॉटर्स हैं। इन सभी चारों शॉर्ट्स फिल्मों को हमारामूवी यूट्यूब चैनल तथा मूवीसेंट्स फिल्म प्लेटफॉर्म पर मुफ्त में देखा जा सकता है।