देश में 50 लाख से अधिक खुदरा टचप्वाइंट वाले अग्रणी शाखा रहित बैंकिंग और डिजिटल नेटवर्क, पेनीयरबाय के सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत में 63 प्रतिशत से अधिक महिलाएं अपना व्यवसाय शुरू करना चाहती हैं, जो वित्तीय स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की तीव्र इच्छा को दर्शाती है। यह बात, खुदरा दुकानों पर महिलाओं द्वारा वित्तीय खपत को दर्शाने वाली अखिल भारतीय सर्वेक्षण रिपोर्ट, “पेनीयरबाय वीमेन फाइनेंशियल इंडेक्स (पीडब्ल्यूएफआई)” के अंग के रूप में साझा की गई थी। कंपनी ने देश में 5,000 से अधिक खुदरा स्टोरों का सर्वेक्षण किया, जिसमें वहां दिखे महिला उपभोक्ताओं के वित्तीय लेन-देन को रिकॉर्ड किया गया। रिपोर्ट में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण की प्राथमिकता पर रोशनी डाली गई, जिसमें 95 प्रतिशत से अधिक महिला ग्राहक नकद निकासी के लिए एईपीएस का विकल्प चुनती हैं। नकद लेन-देन का पसंदीदा तरीका बना हुआ है, 48 प्रतिशत महिलाएं इसके पक्ष में हैं, आधार-आधारित लेनदेन और यूपीआई क्यूआर कोड दहाई अंक में प्रगति पर हैं। इस खंड में कार्डों की उपस्थिति न्यूनतम बनी हुई है। विशेष रूप से, 18-30 साल की आयु की महिलाएं, उसके बाद 31-40 वर्ष की महिलाएं, डिजिटल रूप से सबसे अधिक कुशल हैं, जो वित्तीय लेनदेन के प्रति एक मज़बूत रुझान दिखाती हैं। दिलचस्प बात यह है कि 41 प्रतिशत महिलाओं ने उल्लेख किया कि वे अपने फोन पर किसी भी भुगतान ऐप का उपयोग नहीं करती हैं। पेनीयरबाय खुदरा दुकानों पर महिलाओं द्वारा प्राप्त की जाने वाली शीर्ष तीन सेवा है, नकद निकासी, मोबाइल रिचार्ज और बिल भुगतान। सबसे आम निकासी सीमा ₹1000-2500 के बीच है, जबकि ईएमआई भुगतान आमतौर पर 500-1000 के बीच है। रिपोर्ट से पता चलता है कि 70 प्रतिशत महिलाओं के पास जन-धन बचत खाते हैं जिनका उपयोग मुख्य रूप से नकद निकासी के लिए किया जाता है। 25 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने स्वीकार किया कि उनके बैंक खाते उनके बजाय उनके पति संभालते हैं।

शीर्ष तीन बचत लक्ष्यों में, ‘बच्चों की शिक्षा’ शीर्ष पर है, इसके बाद ‘बीमारी से जुड़ी आपातकालीन परिस्थिति’ और ‘घरेलू इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदने’ का स्थान है। 54 प्रतिशत महिलाओं ने मासिक बचत के लिए अपनी पसंदीदा सीमा 750-1000 बताई, जो वित्तीय नियोजन के प्रति उनके दृष्टिकोण को उजागर करती है। केवल 27 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने लंबी अवधि में एक कोष जमा करने के लिए 1500 से अधिक की बचत करना पसंद किया। 71 प्रतिशत महिलाओं ने 3-5 साल के बीच बचत अवधि के साथ अल्पकालिक निवेश के प्रति अधिक झुकाव प्रदर्शित किया। रिपोर्ट में निवेश विविधीकरण की दिशा में मामूली लेकिन उल्लेखनीय रुझान देखा गया है, विशेष रूप से आवर्ती और निश्चित लक्ष्य-आधारित जमा में। यह वैकल्पिक निवेश मार्गों के बारे में महिलाओं के बीच बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है, जो वित्तीय प्रबंधन और धन सृजन में बढ़ती रुचि को दर्शाता है।

दिलचस्प बात यह है कि 74% महिलाएं निवेश संबंधी निर्णय लेते समय अपने परिवार के सदस्यों पर भरोसा करती हैं, जबकि 11% महिलाएं वित्तीय सलाहकारों से मार्गदर्शन लेती हैं। वित्तीय सलाहकारों में आम तौर पर उनके दायरे की प्रभावशाली महिलाएं थीं। सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि 16% महिलाएं बेहद जागरूक थीं, और 55% वित्तीय कल्याण से संबंधित विभिन्न सरकारी योजनाओं और पहलों के बारे में मामूली तौर पर जागरूक थीं। प्रभावशाली ढंग से, 45% महिलाओं ने सरकार समर्थित पहलों से लाभ प्राप्त करने की सूचना दी है जो इन योजनाओं का लाभ उठाने वाली महिलाओं की बढ़ती संख्या को दर्शाता है।

महिलाओं (29%) के बीच बीमा उत्पादों के बारे में बढ़ती जागरूकता के बावजूद, खपत 2% पर ही बनी हुई है। 45% महिलाओं ने सरकार समर्थित योजनाओं से लाभान्वित होने की बात कही। सर्वेक्षण से पता चलता है कि 68% महिलाओं में औपचारिक ऋण लेने की इच्छा है, जिससे किफायती ऋण समाधान की आवश्यकता स्पष्ट होती है। महिलाओं ने ऋण लेने की वजह के रूप में चिकित्सा खर्च, घर की मरम्मत, और बच्चों की शिक्षा या बीज, उर्वरक या उपकरण खरीदने जैसी कृषि जरूरतों के लिए आपातकालीन खर्चों का हवाला दिया।