नई दिल्लीः इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम (darul oloom) के कार्यवाहक मोहतमिम और जमीयत उलमा-ए-हिंद (मौलाना महमूद मदनी गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैय्यद कारी उस्मान मंसूरपुरी (qari usman mansoorpuri) का आज निधन हो गया। क़ारी उस्मानपुरी 76 वर्ष के थे, कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद पिछले कई दिन से उनकी तबीयत ख़राब चल रही थी, जिस वजह से उन्हें मेदांता में भर्ती कराया गया था। बीते रोज़ उनकी कोविड रिपोर्ट भी नेगेटिव आई थी, लेकिन रात क़रीब एक बजे उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।

मौलाना सैय्यद कारी उस्मान मंसूरपुरी छह मई को कोरोना संक्रमित हुए थे। जिसके बाद उन्होंने खुद को होम आइसोलेट कर लिया था। घर पर ही चिकित्सकों की देखरेख में उनका उपचार चल रहा था, लेकिन शरीर में कमजोरी आने की वजह से चिकित्सकों से परामर्श के बाद उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां डाक्टरों ने उन्हें आईसीयू में रखा था।

प्रसिद्ध आलिम व कारी उस्मान के बेटे कारी अफ्फान मंसूरपुरी (affan mansoorpuri ने लोगों से पिता के स्वास्थ्य लाभ के लिए दुआ की अपील की थी। रात अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन शुक्रवार को क़रीब सवा बजे उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

मौलाना सैय्यद कारी उस्मान मंसूरपुरी महान स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हुसैन अहमद मदनी के दामाद थे। वे लंबे समय तक विश्वप्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम रहे। मौलाना उस्मान मंसूरपुरी हदीस पढ़ाते थे। साल 2008 में उन्हें जमीयत उलमा-ए-हिंद (महमूद मदनी गुट) का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। पिछले वर्ष शूरा कमेटी ने उन्हें दारुल उलूम देवबंद का मोहतमिम बनाया था। महान स्वतंत्रता सेनानी मौलाना सैय्यद असअद मदनी के निधन के बाद क़ारी उस्मान मंसूरपुरी को अमीर उल हिंद की उपाधि से दी गई थी। उनके निधन के बाद इस्लामिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।