देश की सबसे अनुशासित पार्टी कहलाये जाने वाली भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री द्वारा लगातार पार्टी में अनुशासन एवं पसमांदा मुसलमानों के बीच जाकर उन्हे स्नेह एवं सम्मान देने की बात कहने के बावजूद भी पार्टी नेताओं द्वारा उसे अमल में नहीं लाया जा रहा है। घटना लखनऊ की विधानसभा मार्ग पर आयोजित देश के 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में मंच पर हज कमेटी के अध्यक्ष मोहसिन रजा द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार में पसमांदा हितों की नीति से बनाए गये इकलौते पसमांदा मुस्लिम अल्पसंख्यक कल्याण, हज एवं वक्फ राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी को मंच की कुर्सी पर बैठने से मना कर दूसरी कुर्सी पर बैठने के लिए कहकर सार्वजनिक रूप से अपमानित करने (हज कमेटी उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण के अधीन ही आता है प्रोटोकॉल का उलंघन है) की है, जोकि पार्टी के अनुशासित होने के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह तो लगाता ही है, साथ-साथ पार्टी के संकटमोचक देश के प्रधानमंत्री द्वारा सभी को सम्मान देने की नसीहत की अवहेलना भी है।

उधर पसमांदा हितों के संरक्षण के लिए लंबे समय से संघर्षरत सामाजिक संगठन ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुहम्मद युनुस ने घटना को देश के समस्त पसमांदा मुस्लिम समाज का अपमान मानते हुए कड़े शब्दों में हज कमेटी के अध्यक्ष मोहसिन रजा के इस अशोभनीय अमर्यादित आचरण की निंदा करते हुए पार्टी से हज कमेटी के अध्यक्ष मोहसिन रजा के निष्कासन एवं पद से बर्खास्तगी की मांग की है। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज हनीफ ने कहा की पसमांदा मुस्लिम समाज का अपमान किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। वहीं संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलीम अहमद कुरैशी ने कहा कि समाज अब जागरूक हो चुका है, यदि समय रहते राजनीतिक दलों ने उनके मान सम्मान की रक्षा नहीं की तो वह दिन दूर नहीं जब पसमांदा मुस्लिम समाज अपने राजनीतिक नेतृत्व की कमान स्वयं संभाल कर अपने समाज के मान सम्मान की रक्षा के लिए विवश होगा।

राष्ट्रीय महासचिव अकरम कुरैशी ने इसे मंत्री के प्रोटोकाल के विरुद्ध अनुशासनहीनता का विषय मानते मोहसिन रजा को पार्टी एवं पद से बर्खास्तगी की मांग की है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष शारिक अदीब अंसारी ने कहा कि ये अशराफ मानसिकता का उदाहरण है। पूर्व में भी इनके पूर्वजों ने पसमांदा मुस्लिम समाज के पूर्वजों के साथ इसी तरह का अपमान किया है। अशराफ मुस्लिम समाज की तादाद 15 प्रतिशत से भी कम है लेकिन ये 85 प्रतिशत पसमांदा मुस्लिम समाज पर राज करते आए हैं। संगठन इस प्रकार की मानसिकता के खिलाफ बिगुल बजा चुका है। यदि समय रहते अशराफ समाज ने पसमांदा मुस्लिम समाज को सम्मान देना नहीं सीखा तो प्रतिक्रियावश उन्हें इसी प्रकार के व्यवहार का दंत झेलना पड़ेगा