नई दिल्ली: कोरोना से मची तबाही से अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तरह परेशान झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सब्र का बाँध आख़िरकार टूट गया. हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टेलीफोन पर की गयी बातचीत को सोशल मीडिया में अपनी पीड़ा बयान करते हुए ज़ाहिर कर दिया। हेमन्‍त सोरेन ने ट्वीट कर कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने फोन किया। उन्‍होंने सिर्फ मन की बात की। बेहतर होता यदि वो काम की बात करते और काम की बात सुनते।

अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा
विपक्षी पार्टी वाले राज्‍यों के साथ सौतेले व्‍यवहार को लेकर हेमन्‍त लगातार केंद्र पर हमला करते रहे हैं। अभी मौजूदा समस्या कोरोना संक्रमण को लेकर है। झारखण्ड को केंद्र से टीका और दवाओं के मामले में अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है।

रेडमेसिविर के लिए लिखे पत्र का कोई जवाब नहीं
रेडमेसिविर की जरूरत महसूस करते हुए हेमन्‍त सोरेन ने हाल ही केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा को पत्र लिखकर को पत्र लिखा बंगलादेश की कंपनी से 50 हजार वायल की आपूर्ति के लिए डील का हवाला देते हुए खरीद के लिए अनुमति मांगी मगर केंद्र से उसका जवाब तक देना मुनासिब नहीं समझा। उसके इतर भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी उस पत्र का जवाब देते रहे कि हेमन्‍त नहीं कंपनी को अनुमति के लिए अनुरोध पत्र और नमूना भेजना चाहिए।

पक्षपात करने का आरोप
कोरोना वैक्‍सीन और दवा को लेकर झारखण्‍ड, केंद्र पर लगातार दबाव बनाये हुए है। राज्‍य सरकार आरोप लगाती रही है कि भाजपा शासित राज्‍यों की तुलना में झारखण्‍ड के साथ पक्षपात किया जा रहा है। रेडमेसिविर हो या टीका, जरूरत और मांग की तुलना में अपेक्षाकृत काफी कम की आपूर्ति की जा रही है। अब हेमन्‍त सोरेन अपने संसाधनों के बूते अस्‍पतालों में ऑक्‍सीजन पहुंचाने के लिए संजीवनी वाहन, अस्‍पतालों में अतिरिक्‍त बेड, ऑक्‍सीजन युक्‍त बेड आदि की व्‍यवस्‍था कर रहे हैं। लगातार इसी धुन में हैं।