दिल्ली:
संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन कानूनों समाप्त कर इनकी जगह नए कानून लाने के लिए विधेयक पेश किया। ये तीनों कानून भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत हैं, जिनमें बदलाव किया जा रहा है। अमित शाह ने कहा कि ये तीनों कानून अंग्रेजों के समय के हैं, इसलिए इसमें बदलाव करना जरूरी था। इसके तहत मॉब लिंचिंग करने वालों और देश से भागने वालों पर सख्ती होगी।
अमित शाह ने कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य किसी को दंड देना नहीं होगा।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दाऊद इब्राहिम काफी समय से भगोड़ा है। अब हमने तय किया है कि सत्र न्यायालय के जज किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी केस चला सकती है और फैसला सुना सकती है, फिर चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में हो। उसे सजा से बचना हो तो भारत आए और केस लड़ें। अप्रैल 2022 में कानून मंत्रालय ने राज्य सभा में बताया कि सरकार आपराधिक कानूनों की समीक्षा कर रही है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हम देशद्रोह जैसे कानून निरस्त कर रहे हैं। 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के बनाए कानून से चल रहा था। अब इन तीन नए कानूनों से देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य तय किया है कि दोषसिद्धि की दर को 90 प्रतिशत से ज्यादा किया जाएगा। अपराध स्थल पर फोरेंसिक टीम का जाना अनिवार्य होगा।
उन्होंने कहा कि नए विधेयक में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के मामले से संबंधित नए प्रावधान किए गए हैं। नाबालिग से दुष्कर्म जैसे मामलों में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही एक तय सीमा में सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी जाएगी।
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