लखनऊ: आज सुबह औरंगाबाद में ट्रैन से छत्तीसगढ अपने घर लौट रहे 14 प्रवासी श्रमिकों की ट्रेन से कटकर और साईकिल से लखनऊ से छत्तीसगढ़ जा रहे पति पत्नी श्रमिकों की वाहन से कुचलकर हुई मौतों पर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए वर्कर्स फ्रंट ने इसके लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और केन्द्र सरकार से हर मृत श्रमिकों को 50 लाख रूपया गुआवजा
देने की मांग की है।

वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि बिना योजना व समुचित व्यवस्था के लागू किए लाकडाऊन में प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की थी। लेकिन उसे प्रवासी मजदूरों की तकलीफों-बेइंतहा परेशानियों से कोई लेना देना नहीं है। एक सर्वेक्षण के अनुसार अभी तक सैकड़ों प्रवासी मजदूर भूख-प्यास, बीमारी व दुर्घटनाओं में बेमौत मर चुके हैं। दरअसल महामारी के दौर में मजदूर सरकार के एजेण्डा में है ही नहीं और न सिर्फ उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया है बल्कि उन पर घोर दमन ढहाने की ओर सरकार बढ़ रही है। हद यह है कि मजदूरों से किराया वसूली के इतने बड़े विरोध के बाद किराया न लेने के झूठ का अम्बार लगाने वाली सरकार आज भी मजदूरों से किराया वसूल रही है। आज ही सोनभद्र में गुजरात के मेहसाना से पहुंची टेªन से उतरे मजदूरों ने पत्रकारों को बताया
कि उनसे 800 रूपए किराएं का लिया गया है। वर्कर्स फ्रंट ने मोदी सरकार के मजदूरों के प्रति बरती जा रही संवेदनहीनता की निंदा करते हुए प्रधानमंत्री से मांग की है कि प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित व मुफ्त में घरों को भेजने के लिए उचित इंतजाम किये जायें और यदि दुघर्टना में उसकी
मौत होती है तो उसे 50 लाख मुआवजा दिया जाए।