टीम इंस्टेंटखबर
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि दिल्ली में बैठे लोग जम्मू-कश्मीर को एक प्रयोगशाला की तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार यहां पर केवल प्रयोग कर रही है काम नहीं।

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि नेहरू और वाजपेयी जैसे नेताओं में जम्मू-कश्मीर को लेकर एक विजन था, लेकिन वर्तमान मोदी सरकार इस राज्य का भला करने में विफल रही है। उन्होंने केंद्र सरकार के बारे में कहा कि वह केवल हिंदू और मुसलमानों के बीच बंटवारा कर रही है।

महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि अब सरदारों को खालिस्तानी बताया जा रहा है। हम लोगों को पाकिस्तानी बताया जा रहा है। तो क्या भारतीय जनता पार्टी ही हिंदुस्तानी रह गई है?

पीडीपी की प्रमुख ने कहा कि केंद्र सरकार तालिबान के बारे में बात कर रही है। वह अफगानिस्तान के बारे में भी बात कर रही है लेकिन उसके पास इतनी फुरसत नहीं है कि वह भारत के किसानों या बेरोजगारों के बारे में कुछ बात कर ले।

पूर्व सीएम मुफ्ती ने कहा कि परिसीमन की कवायद बेतरतीब ढंग से की जा रही है। वे सिर्फ नाम बदल रहे हैं (स्कूलों का नामकरण शहीदों के नाम पर) लेकिन नाम बदलने से बच्चों को रोजगार नहीं मिलेगा। वे (केंद्र) तालिबान, अफगानिस्तान के बारे में बात करते हैं लेकिन किसानों, बेरोजगारी के बारे में नहीं जबकि आज जम्मू में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है।

मुफ्ती ने कहा कि जम्मू क्षेत्र में बहुलवादी संस्कृति रही है। यह क्षेत्र देश का एकमात्र स्थान है जहां पर सभी जाति और धार्मिक विश्वास के लोग रहते हैं। आज कश्मीर के लोगों की आवाज दबाई जा रही है, उन्हें चुप कराया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां दूध और शहद की नदियां बहने लगेगी लेकिन आज यहां देश में सबसे अधिक बेरोजगारी दर है।

मुफ़्ती ने कहा, देश के 70 मंत्री यहां फीता काटने पहुंच रहे है लेकिन जिन कार्यों का भी उद्घाटन किया गया है। उसकी शुरुआत मनमोहन सरकार के दौरान ही की गई थी। मौजूदा सरकार द्वारा यहां पर अब तक किसी भी योजना की शुरुआत नहीं की गई है।