लखनऊ:
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने बुधवार को पार्टी के मंडल और जिला कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ यूपी और देश के बदलते राजनीतिक हालातों पर चर्चा की. इस विचार-विमर्श में मायावती केंद्र की मोदी और योगी सरकार की तमाम नीतियों से खासी नाखुश दिखी.

मायावती का कहना है कि केंद्र तथा राज्य की भाजपा सरकार में महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा जैसे जरुरी मुद्दों से लोगों का ध्यान बांटने के लिए जातिवादी, साम्प्रदायिक व धार्मिक विवादों को जानबूझकर पूरी छूट व शह दे रही है, जिस कारण प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की प्रगति भी प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से प्रभावित हो रही है.

प्रेस नोट में यह लिखा गया है कि योगी सरकार सूबे की कानून व्यवस्था को सुधारने में असफल साबित हुई और समाजवादी पार्टी की हुकूमत की हाथ ही कुछ क्षेत्रों में विकास कार्य करने पर ध्यान दे रही हैं. मायावती का कहना है कि वर्तमान में देश को पहले से ज्यादा बड़ी और कठिन चुनौतियों का सामना करण पड़ा रहा है.

देश के कई राज्य जैसे कि यूपी, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र आदि में कथित लव जिहाद, धर्मांतरण, हिजाब, मजार, व स्कूल/कालेज विध्वंश, मदरसा जांच, बुलडोजर राजनीति तथा धार्मिक उन्माद फैयालाने वाले नफ़रती.संकीर्ण बयानों तथा कार्रवाइयों से देश में तनाव तथा दहशत का माहौल व्याप्त है, केंद्र तथा राज्य सरकारों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.

बसपा के इस दो पेज के प्रेस नोट में मायावती ने भाजपा पर सीधा हमला बोला है और कांग्रेस पर चुप्पी साधी है. जबकि इससे पहले मायावती कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही एक कटघरे में खड़ी करती रही हैं. बीते कई सालों बाद यह पहला मौका है जबकि मायावती ने कांग्रेस पर सीधा हमला करने से कोताही बरती हैं और बुधवार को उन्होंने कांग्रेस को लेकर किसी तरह का कोई हमला नहीं बोला.

कहा जा रहा है कि मायावती ने सतीश चंद्र मिश्र से राय मशविरा करने के बाद भी भाजपा पर निशाना साधा है. पार्टी मुख्यालय में हुई बैठक में सतीश चंद्र मिश्रा भी मौजूद थे. इस बैठक के दौरान मायावती ने 23 जून को पटना में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक पर भी किसी तरह की कोई टिप्पणी नहीं की. उन्होने सिर्फ यही कहा कि विपक्षी पार्टी की गतिविधियों पर उनकी नजर है.

मायावती के इस कथन को लेकर यह कहा जा रही है कि मायावती चुनावी गठबंधन को लेकर भी विचार विमर्श कर रही है. क्योंकि पार्टी के तमाम नेता यह चाहते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी अकेले नहीं कुछ राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़े, ताकि पार्टी का वर्ष 2014 जैसा हश्र ना हो. शायद यहीं वजह है कि मायावती भी गठबंधन को लेकर अपने राजनीतिक नफे-नुकसान का आकलन करते हुए बुधवार को मोदी-योगी सरकार पर हमला बोला और कांग्रेस पर चुप रही हैं.