लखनऊ:
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने नए साल पर भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर लिया है। उन्होंने बेरोजगारी, गैर बराबरी, आर्थिक असमानता जैसे मुद्दे उठाते हुए इशारों-इशारों में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी हमला किया है। मायावती का कहना है कि केंद्र की सरकार हो या राज्य की सरकारें, दोनों महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ापन जैसी बुनियादी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रही हैं।

उन्होंने कहा, लोगों का ध्यान बांटने के लिए गारंटी वितरण में ही लगी हैं, जो समाधान कम और छलावा ज्यादा है। इज्जत की रोटी के लिए इज्जत की रोजी-रोटी के लिए सरकार को केवल रोजगार की गारंटी सुनिश्चित करनी होगी। जनता को इस चुनावी साल में इसके प्रति गंभीर होना चाहिए, वरना भाजपा की संघ तुष्टीकरण की नीतियां तथा इनका संकीर्ण राष्ट्रवाद देश के बहुजनों के आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना देगा।

मायावती ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीति पर सवाल खड़ा करते हुए अपनी पोस्ट में कहा है कि लोगों की जेब में खर्च के लिए पैसे न हों, तो देश के विकास का ढिंढोरा किस काम का है? और बेरोजगारों की फौज के साथ विकसित भारत कैसे संभव है? केंद्र और राज्य की सरकारें महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ापन जैसी बुनियादी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रही हैं।

सरकार केवल संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ की राजनीति कर रही हैं, जिससे मुक्ति पाये बिना वास्तविक देशहित कैसे संभव है? मायावती का यह भी मानना है कि पहले कांग्रेस और अब भाजपा की जातिवादी, अहंकारी व गैर-समावेशी सरकार के दुष्प्रभाव से गरीबों का विकास लगातार बाधित है, इसीलिए अब बसपा की सर्वजन हितैषी सरकार जरूरी है। यह दावा करते हुए मायावती ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का अपने अंदाज में जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि यूपी में अपराध नियंत्रण, कानून-व्यवस्था तथा जनकल्याण एवं विकास के मामलों में बसपा सरकार से बेहतर क्या किसी सरकार का रिकार्ड रहा है? यह ऐसा कार्य है जो सर्व समाज के लोगों ने देखा और महसूस किया। वहीं दूसरी पार्टियों की सरकारों के दावे हवा-हवाई ज्यादा हैं। यह दावा करते हुए मायावती ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि नया साल सबके लिए सब के लिए आत्म-सम्मान के साथ सुख, शान्ति, सुरक्षा व सफलता लेकर आए, ताकि आर्थिक असमानता व अन्य गैर-बराबरी आदि से मुक्त लोगों का जीवन खुशहाल बने।

लोकसभा चुनावों के ठीक पहले भाजपा और इंडिया गठबंधन के नेता बसपा को अपने साथ लाने के लिए गुणा गणित में लगे हैं. भाजपा और इंडिया गठबंधन के नेताओं का मानना है कि मायावती का साथ मिलने पर दलित समाज का वोट उन्हे मिल सकता है और इससे उन्हें लाभ होगा. इसलिए मायावती को अपने साथ लाने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं।