लखनऊ:
आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की एक अहम बैठक आज दिनांक 29 अक्टूबर 2022 को शिया कालेज विक्टोरिया स्ट्रीट, लखनऊ में आयोजित हुई। बैठक में कार्यकारिणी के सदस्यों ने भाग लिया। बैठक की शुरूआत कुरान-ए-पाक की तिलावत से हुई। बैठक ने तय किया कि शिया पर्सनल लॉ बोर्ड का अधिवेशन इस वर्ष 18 दिसम्बर 2022 को मुम्बई में आयोजित होगा जिसमें देश भर के उलेमा व बुद्धजीवी शिरकत करेंगे। चूंकि बोर्ड के अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हो रहा है इसलिए अध्यक्ष पद पर दोबारा चुनाव होना है जिसके लिए मौलाना यासूब अब्बास ने मौलाना साएम मेंहदी साहब के नाम का प्रस्ताव सदस्यों के समक्ष रखा बैठक में उपस्थिति सभी सदस्यों ने एकमत के साथ मौलाना साएम मेंहदी साहब के नाम पर अपनी सहमति दी। इस तरह निर्विरोध पुनः 3 साल के लिए मौलाना साएम मेंहदी बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए।

इसके अतिरिक्त बैठक में 14 नवम्बर को शाह सलमान, सऊदी अरब की भारत यात्रा का विरोध किया गया क्योंकि सऊदी अरब में मोहम्मद साहब की इकलौती बेटी और उनके बेटों की कब्रों पर साया नहीं है जिसको आज से लगभग 100 वर्ष पूर्व सऊदी सरकार ने ध्वस्त कर दिया था सऊदी अरब सरकार न तो जन्नतुल बकी. मदीना में रौजो को दोबारा निर्माण करा रही है और न ही हमें निर्माण की इजाजत दे रही है।

शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से इस मामले में हस्तक्षेप की गुजारिश की है कि वह अपने प्रभावों का इस्तेमाल करते हुए सऊदी सरकार पर दबाव बनाये कि वह या तो रौज़ों का निर्माण करें या भारत के शिया मुसलमानों को निर्माण की इजाजत दे ।

इसके अलावा दूसरे मुददे जैसे यूनिफार्म सिविल कोड, जनसंख्या वृद्धि आदि मुद्दे भी चर्चा में आये। सभा ने एक मत से यूनिफार्म सिविल कोड को देश में लागू किये जाने का विरोध किया और कहा कि इससे देश को नुकसान पहुंचेगा इसलिए आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड देश में यूनिफार्म सिविल कोड को लागू करने का विरोध करता है। शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि भारत की आजादी में मदरसों का बहुत योगदान रहा है जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता। अगर प्रदेश में मदरसों की जांच हो तो सभी धार्मिक शिक्षा संस्थानों की भी जांच होना चाहिए।

इस बैठक में मौलाना साएम मेंहदी अध्यक्ष, मौलाना यासूब अब्बास, मौलाना अनवर हुसैन, प्रोफेसर नय्यर जलालपुरी, मौलाना एजाज़ अतहर, मौलाना जाफर अब्बास, मौलाना मुसय्यब, मौलाना इसहाक, मौलाना मेंहदी इफ्तिखारी, मौलाना हसन मेंहदी गीरपुरी, मौलाना सदफ, मौलाना रजा अब्बास, जहीर मुस्तफा, हसन मेंहदी ‘झब्बू’ आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।