अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन के अंतर्गत मुम्ताज़ पी0जी0 कालेज में नेशनल कान्फ्रेंस हुई

लखनऊ:
अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन के अन्र्तगत मुम्ताज़ पी0जी0 कालेज में मौलाना सै0मो0 राबे हसनी नदवी हयात व खिदमात के विषय से एक अजीमुश्शान राष्ट्रीय कान्फ्रेंस का आयोजन हुआ। इसकी अध्यक्षता मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी महासचिव आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने की। संचालन अंजुमन के सचिव सै0 अतहर नबी एडवोकेट ने किया। उदघाटनीय सम्बोधन इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने किया। इस कान्फ्रेंस को नाजिम नदवतुल उलामा लखनऊ मौ0 सै0 बिलाल अब्दुल हई हसनी नदवी, नाजिरे आम नदवतुल उलामा, मौ0 सै0 जाफर मसऊद हसनी नदवी, प्रो0 अखतरूल वासे अध्यक्ष मौलाना आजाद विश्वविद्यालय जौधपुर, मौ0 अतीक अहमद बस्तवी, मौ0 मो0 खालिद गाजीपूरी नदवी ने सम्बोधित किया। कारी कमरूद्दीन अध्यापक दारूल उलूम फरंगी महल की तिलावत से कान्फ्रेंस का आरम्भ हुआ। कान्फ्रेंस का अन्त अंजुमन के चैधरी शरफुद्दीन ने शुक्रिया अदा करके किया।

इस कान्फ्रेंस में बड़ी संख्या में उलमा, बुद्धजीवि, विभिन्न संस्थानो और संगठनों के जिम्मेदारों, मदरसे के अध्यापकों और अवाम ने शिरकत करके मौ0 राबे हसनी से अपनी गहरी अकीदत व मोहब्बत का इज्हार किया।

मौ0 खालिद सैफ उल्लाह रहमानी ने कहा कि मौ0 राबे हसनी नदवी का निधन पूरी उम्मत के लिए बड़ा नुकसान है। उनसे हर मसलक के लोगों को अकीदत व मोहब्बत थी। वह इस समय मुसलमानो के लिए सबसे बड़े लीडर थे। उनको अरब दुनिया में बहुत कद्र और एहतिराम की नजर से देखा जाता था। उनके दौरे अध्यक्षता में आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने बहुत सोच समझ कर अहम् और कठिन समस्याओं का कामयाबी के साथ सामना किया और बोर्ड के कामों को उनकी रहनुमाई ने जारी रखा।

कान्फ्रेंस का उद्घाटनीय सम्बोधन करते हुए मौ0 खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि मौलाना एक एतिहास रचयता था। उन्होने 94 वर्ष की लम्बी आयु पायी। वह इस्लामी शरीअत पर अमल करने वाले थे। वह अरबी और उर्दू के बुलन्द सहाफी थे। मौलाना राबे हसनी और उलमा फरंगी महल का गहरा सम्बन्ध था जिसका इज्हार उन्होने अपनी तहरीरों व तकरीरों में किया। वह चार बार आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के अध्यक्ष नियुक्त हुए।

प्रो0 अखतुरूल वासे ने मौलाना राबे हसनी से अपनी विशेष अकीदत व मोहब्बत का इज्हार किया। उन्होने कहा कि मौलाना मरहूम अरबी के अदीब, अध्यापक थे। उनसे देश के तमाम मुसलमानों को बड़ी मदद मिलती थी। मुसलमानों के शरअई समस्याओं से उनका गहरा लगाव था।

मौलाना सै0 बिलाल हसनी नदवी ने मौ0 राबे हसनी की विशेषता, जीवन और सेवाओं का विस्तार से वर्णन किया। उन्होने कहा कि मौलाना मरहूम बड़े आलिमे दीन थे। उन्होने अपने जीवन का अधिकतर समय पढ़ाने में गुजारा।

मौलाना सै0 जाफर हसनी ने मौ0 मरहूम की शैक्षिक सेवाओं का वर्णन किया। उन्होने कहा कि मौलाना मरहूम अदीब और अहले कलम थे। इसका सुबूत उनकी दर्जनों किताबें हैं।

मौलाना अतीक अहमद बस्तवी ने मौलाना मरहूम की फिकही नजर पर रौशनी डालते हुए कहा कि वह वर्तमान समय की समस्याओं के अवगत थे।
मौलाना खालिद गाजीपुरी ने कहा कि मौलाना मरहूम कुरान पाक, हदीस शरीफ और इस्लामी फिक्ह की बहुत जानकारी रखते थे। उनको अरबी जुबान व अदब पर कमाल हासिल था।

इसी जलसे के आरम्भ में मौलाना सै0 मो0 राबे हसनी नदवी ओल्ड ऐज होम व जफरयाब जीलानी नर्सिंग कालेज का शिलान्यास मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी के हाथों हुआ। जलसे में अनजुमन के सदस्य सै0 बिलाल नूरानी और पूर्व प्रधानाचार्य मुम्ताज़ कालेज डाॅ0 ए0 रहीम ने मौलाना राबे ओल्डएज होम के लिये क्रमशः 2 लाख और 1 लाख रूपये देने का एलान किया।

इल्मों अदब के चेहरे और चिराग हजरत मौलाना सै0 मुहम्मद राबे हसनी बहुत ही नर्म दिल, शांत स्वभाव के आलिमे दीन थे। वह मौलाना अबुल हसन अली मियाॅ नदवी के भतीजे और शिष्य थे। उन्हें मौलाना अली मियाॅ नदवी द्वारा प्रशिक्षित भी किया गया था, और मौलाना अली मियाॅ के बाद, उन्होने मौलाना के मिशन को आगे बढ़ाया। वह चुपचाप दीन और मिल्लत की सेवा करते रहें और अपना काम करते रहे। वह अरबी साहित्य के एक महान विद्वान और लेखक थे।
जलसे में प्रो0सै0 वसीम अखतर चांसलर इंटिगरल विश्वविद्यालय और प्रो0 अब्बास अली मेंहदी वाइस चांसलर एरा विश्वविद्यालय ने भी मौलाना मरहूम को खिराजे अकीदत पेश किया।