लखनऊ
भारत के सबसे बड़े घरेलू ओटीटी प्लेटफॉर्म और विभिन्न भाषाओं की कहानियों को दर्शकों तक पहुंचाने वाले, ज़ी5 ने हाल ही में बेहद मनोरंजक कोर्टरूम ड्रामा ‘सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है’ का प्रीमियर किया। अपूर्व सिंह कार्की के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में पद्म श्री और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मनोज बाजपेयी ने मुख्य किरदार निभाया है। मनोज बाजपेयी फ़िल्म की सफलता के बाद भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए कोनेश्वर मंदिर पहुंचे, और यहां उन्होंने फिल्म का प्रमोशन भी किया। उन्होंने नेशनल पीजी कॉलेज में छात्रों से भी बातचीत की और कुछ छात्रों ने उनकी फिल्मों के अपने पसंदीदा दृश्यों का अभिनय किया।

विनोद भानुशाली की भानुशाली स्टूडियोज़ लिमिटेड, ज़ी स्टूडियोज़ और सुपर्ण एस. वर्मा द्वारा प्रोड्यूस की गई फ़िल्म, ‘सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है’ की कहानी सच्ची घटनाओं पर आधारित है। यह एक कोर्टरूम ड्रामा है जिसमें मनोज बाजपेयी ने पी.सी. सोलंकी नाम के एक वकील की भूमिका निभाई है। यह कहानी एक आम इंसान की है जो पेशे से हाई कोर्ट में वकील है, और अपने बलबूते पर देश में भगवान का दर्जा पाने वाले सबसे बड़े धर्मगुरु के खिलाफ़ एक असाधारण मुक़दमा लड़ता है, जिसे अंत में उस धर्मगुरु को पॉक्सो एक्ट के तहत एक नाबालिग के बलात्कार के जुर्म की सज़ा दिलाने में कामयाबी मिलती है।

मनोज बाजपेयी फ़िल्म की सफलता के बाद भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए कोनेश्वर मंदिर पहुंचे, और यहां उन्होंने फिल्म का प्रमोशन भी किया। उन्होंने नेशनल पीजी कॉलेज में छात्रों से भी बातचीत की और कुछ छात्रों ने उनकी फिल्मों के अपने पसंदीदा दृश्यों का अभिनय किया।

अभिनेता मनोज बाजपेयी ने कहा, “’सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी है’ की कहानी हमारे समाज में महिलाओं की हिफाज़त के बेहद अहम मुद्दे से जुड़ी है। यह हमारे समाज का आईना है और बेहद कड़वी सच्चाई को दर्शाता है। इस फिल्म का विषय बेहद संवेदनशील है, इसी वजह से इस कहानी को दर्शकों तक पहुँचाने में हमें कई सालों तक कड़ी मेहनत और रिसर्च करनी पड़ी। हमें खुशी है कि दर्शकों ने फिल्म की कहानी से जुड़ाव महसूस किया और फिल्म से उन्हें प्रेरणा मिली। यह हमारे लिए गौरव का लम्हा है, क्योंकि इस फिल्म को लोगों की शानदार प्रतिक्रिया और हर ओर से भरपूर तारीफ मिल रही है। उम्मीद है कि यह सकारात्मक प्रतिक्रिया आगे भी देखने को मिलेगी।”