कोलकाता: बंगाल में चुनाव भले ही ख़त्म हो गया हो मगर उसकी गूँज अभी भी जारी है. किसी न किसी बात को लेकर मोदी और ममता सरकार में बात ठन जाती है और विववाद खड़ा हो जाता है. ताज़ा विवाद बंगाल के मुख्य सचिव को लेकर है. केंद्र ने उन्हें दिल्ली तलब कर लिया है मगर ममता ने उन्हें उन्हें रिलीव करने से साफ़ इंकार कर दिया है, आज इस बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है.

नियमों का हवाला
ममता बनर्जी ने अपनी चिट्ठी में कई नियमों और संविधान का हवाला देते हुए चीफ सेक्रेटरी के ट्रांसफर को गलत करार दिया है. ममता ने साफ इनकार कर दिया है कि राज्य सरकार इस संकट के समय में अपनी चीफ सेक्रेटरी को नहीं छोड़ सकती है और नहीं छोड़ रही है.

केंद्र के रुख में बदलाव पर सवाल
ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा कि कुछ हफ्ते पहले ही केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की अपील को माना था और चीफ सेक्रेटरी के कार्यकाल को तीन महीने के लिए बढ़ाया था, लेकिन अब फिर रुख को बदला गया है.

पीएम-सीएम की मीटिंग में विधायक का क्या काम
अपनी इस चिट्ठी में ममता बनर्जी ने एक बार फिर साइक्लोन यास को लेकर बंगाल में हुई बैठक का जिक्र किया, जिसकी अगुवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. ममता ने इस मीटिंग में भारतीय जनता पार्टी के विधायक शुभेंदु अधिकारी की मौजूदगी पर नाराजगी व्यक्त की. ममता ने लिखा कि पीएम-सीएम की मीटिंग में किसी विधायक का होना ठीक नहीं है.

दिल्ली नहीं गए अलपन
आपको बता दें कि केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार को बंगाल के चीफ सेक्रेटरी अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली तलब किया था, अलपन को सोमवार सुबह 10 बजे दिल्ली बुलाया गया था. लेकिन वो सोमवार को नहीं पहुंचे और बंगाल में ही अपने काम में जुटे रहे.

केंद्र कर सकता है कार्रवाई
अब केंद्र सरकार अलपन बंदोपाध्याय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है. क्योंकि नियमों के मुताबिक, अगर अफसर को लेकर केंद्र और राज्य के बीच में कोई विवाद होता है तो केंद्र का फैसला ही माना जाता है.