लखनऊ : कोरोना महामारी के चलते पांच महीने के अंतराल के बाद 27 अगस्त 2021 को आसिफी मस्जिद में हमे की नमाज़ मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी की इक़्तेदा में अदा की गई। इससे पहले 9 अप्रैल 2021 को जुमे की नमाज़ अदा की गयी थी जिसके बाद कोरोना के बढ़ते हुए मामलों और लॉकडाउन के सबब नमाज़े जुमा को इमामे जुमा मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी के कहने पर मुल्तवी कर दिया गया था। अब जबकि हालात बेहतर हुए है तो नमाज़े जुमा दोबारा शुरु की जा रही है। हालांकि मौलाना ने नमाजियों से कोरोना के तमाम एहतियाती उपायों का पालन करते हुए मस्जिद में आने की अपील की।

नमाज़े जुमा के ख़ुत्बे में मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने इमाम हुसैन अ.स की अज़ादारी की अहमियत और अज़मत पर रौशनी डालते हुए कहा कि अज़ादारी अल्लाह की अज़ीम नेमत है जो किसी दूसरी क़ौम और संप्रदाय के पास नहीं है। अफसोस ये है कि अल्लाह की इस अज़ीम नेमत से हमने सही तरीक़े से इस्तेफादा नहीं किया। हमे चाहिए कि अज़ाए इमाम हुसैन अ.स को अहलेबैत अ.स की सीरत की रौशनी में बरपा करे और व्यक्तिगत उद्देश्यों, इच्छाओं और व्यक्तिगत झगड़ों से पहरेज़ करे। कुछ लोग अज़ाए इमाम हुसैन अ.स को अपने सियासी फायदे के लिए इस्तेमाल करते है ये क़ाबिले अफसोस हैं।

मौलाना ने आगे कहा कि हमने हमेशा क़ौम की सेवा को प्राथमिकता दी है जबकि हमारे ख़िलाफ तरह-तरह के आरोप लगते रहे हैं बद कलामी जारी है और किरदार कुशी करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है लेकिन हम क़ौमी सेवा से पीछे नहीं हटेंगे। मौलाना ने कहा कि मैंने अपने स्वर्गीय पिता मौलाना सै कल्बे आबिद ताबा सराह के चालीसवें के मौक़े पर क़ौम का शुक्रिया अदा करते हुए वादा किया था की जबतक ज़िंदा रहूँगा क़ौम की ख़िदमत करता रहूँगा। आज जबकि हालात अच्छे नहीं है इसके बावजूद क़ौमी ख़िदमात अंजाम देते रहेंगे

मौलाना ने अज़ादारों को मुतावज्जेह करते हुए कहा कि याद रखिये अज़ाए इमाम हुसैन अ.स में सवाब भीड़ और पैसे की बुनियाद पर नहीं मिलता बल्कि ख़ुलूसे नियत की बुनियाद पर मिलता है इसलिए बड़े बड़े मजमो की फिक्र ने कीजिये और न लाखों करोड़ों रुपये ख़र्च करने को तरजीह देनी चाहिए बल्कि ख़ुलूसे नियत पर अमल की क़ुबूलियत का दारोमदार है।