लखनऊ: एक तरफ योगी सरकार कोरोना से निपटने के बड़े बड़े दावे कर रही है तो दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग लापरवाही में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है| मामला गोलागंज, बरूदखाना क्षेत्र की घनी बस्ती तकिया आज़मबेग का है जहाँ कोरोना से एक बुज़ुर्ग महिला की मौत हो गयी और घर के कई लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है| मगर स्वास्थ्य विभाग सिर्फ उसी घर तक ही केंद्रित है| विभाग ने संक्रमित घर और गली में कीटनाशक का छिड़काव कर खानापूरी कर ली है जबकि बेहद घनी बस्ती होने के कारण इस बात की पूरी सम्भावना है कि संक्रमित परिवार से काफी लोग संपर्क में आये होंगे| ऐसे में एक बड़ा कोरोना विस्फोट होने की पूरी सम्भावना है|

बिना जांच रिपोर्ट आये शव को घरवालों के हवाले किया

तकिया आज़मबेग की 55 वर्षीय महिला को बुखार, ज़ुकाम और सांस लेने में तकलीफ होने के कारण KGMU के वृद्धावस्था विभाग के स्कैनिंग एरिया में एडमिट किया गया था, संदिग्ध होने पर कोरोना जाँच के लिए स्वैब भेजा गया| वहीँ उसी दिन दोपहर में महिला की मौत हो गयी| अस्पताल ने जांच रिपोर्ट आये बिना ही शव को घरवालों को सौंप दिया| शव घर लाया गया और उनके अंतिम संस्कार में पडोसी और रिश्तेदारों ने शिरकत की| शुक्रवार( 29 मई) को कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद घर के दूसरे लोगों की जांच की गयी जिसमें पुत्री और पति की रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई| इन दोनों को स्वास्थ्य विभाग की टीम इलाज के लिए साथ ले गयी है|

अब तक सील नहीं किया गया इलाका

लेकिन सवाल यह उठता है कि घनी आबादी होने के बावजूद इलाके को अभी तक सील क्यों नहीं किया गया और संक्रमित घर वालों के पास पड़ोसियों की कोरोना जांच अब तक क्यों नहीं की गयी? सारे पडोसी काफी सहमे हुए हैं, कुछ लोग तो घर छोड़कर दूसरी जगह रहने लगे हैं , कुछ ने अपने बच्चों को अपने रिश्तेदारों के घर भेज दिया है| शासन और प्रशासन ने अगर ध्यान नहीं दिया तो घनी आबादी होने के कारण स्थिति भयावह हो सकती है|