टीम इंस्टेंटखबर
उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय क्षेत्र की 36 विधान परिषद (एमएलसी) सीटों में से बीजेपी ने 33 सीटों पर जीत दर्ज की तो सपा अपना खाता भी नहीं खोल सकी. सूबे की 36 एमएलसी सीटों में से 9 सीट पर बीजेपी पहले ही निर्विरोध जीत दर्ज कर चुकी थी और बाकी जिन 27 सीटों पर मतदान हुआ था, उनमें से 24 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है.

दिलचस्प बात यह है कि सूबे की जिन तीन एमएलसी सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है, वहां पर निर्दलीय प्रत्याशी जीतने में कामयाब रहे हैं. निर्दलीय जीतने वाले तीनों ही प्रत्याशी ठाकुर समुदाय से हैं. वाराणसी-चंदौली-भदोही सीट पर बीजेपी प्रत्याशी डा. सुदामा पटेल को निर्दलीय प्रत्याशी अन्नपूर्णा सिंह के हाथों मात खानी पड़ी है. अन्नपूर्णा माफिया बृजेश सिंह की पत्नी हैं.

प्रतापगढ़ एमएलसी सीट पर बीजेपी प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह को करारी मात खानी पड़ी है. यहां पर कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के करीबी अक्षय प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की है, जो राजा भैया की जनसत्ता पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे. अक्षय प्रताप सिंह बाहुबली माने जाते हैं और प्रतापगढ़ सीट से लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष की तरह एमएलसी चुनाव में भी बीजेपी प्रतापगढ़ में जीत दर्ज नहीं कर सकी.

बीजेपी की तीसरी सीट आजमगढ़ में मात खानी पड़ी है, जहां पर बीजेपी एमएलसी यशवंत सिंह ने बगावत कर अपने बेटे विक्रांत सिंह को निर्दलीय चुनावी मैदान में उतारा था. आजमगढ़ एमएलसी सीट पर बीजेपी ने रमाकांत यादव के बेटे अरुणकांत यादव को प्रत्याशी बनाया था तो सपा ने राकेश यादव पर फिर से दांव खेला था. बीजेपी ने यशवंत सिंह को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था, लेकिन वो अपने बेटे को जिताने में कामयाब हो गए हैं.

वाराणसी-चंदौली-भदोही सीट से जेल में बंद बृजेश सिंह की पत्‍नी अन्‍नपूर्णा सिंह चुनाव जीत गई हैं. बीजेपी यहां तीसरे स्थान पर रही है. वहीं अखिलेश के बेहद करीबी कहे जाने वाले सुनील कुमार साजन लखनऊ से चुनाव हार गए हैं. आज़मगढ़ में निर्दलीय प्रत्याशी विक्रांत सिंह रिशु ने 2813 मतों के अंतर से बीजेपी प्रत्याशी अरुण कांत यादव को हराया है. यहां पर सपा तीसरे नंबर पर रही है.