गोरखपुर:
उत्तर प्रदेश में जीवन कौशल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ब्रेकथ्रू, प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन और क्वेस्ट एलायंस के साथ मिलकर “वॉयस फ्रॉम द ग्राउंड” ट्रैक के तहत काम कर रहा है। भारत जैसे देश में जहाँ अधिकांश आबादी युवा है, द लाइफ स्किल्स कोलैबोरेटिव (एलएससी) युवाओं, माता-पिता और शिक्षकों के साथ जीवन कौशल पर उनकी समझ बनाने और जागरूकता लाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चला रहा है। एलएससी इन सभी स्टेकहोल्डर्स की जरूरतों और आकांक्षाओं को समझने का प्रयास कर रहा है।

द लाइफ स्किल्स कोलैबोरेटिव (एलएससी) देश के 18 संगठनों का समहू है ,जो भारत में जीवन कौशल (लाइफ स्किल्स) शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। यह समूह भारत के युवाओं के लिए जीवन कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है ताकि वे अपने जीवन को सकारात्मक रूप से विकसित कर सकें और अपने जीवन के लक्ष्य को सफ़लतपूर्वक प्राप्त कर सकें|

इसी प्रयास के तहत आज गोरखपुर में एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें 2021-22 में, लाइफ स्किल्स कोलैबोरेटिव द्वारा भारत की 7 भाषाओं में 11 राज्यों के 25,000 से अधिक स्टेकहोल्डर्स पर किए गए सर्वे के रिजल्ट का साँझा किया गया और इसी सर्वे/स्टडी के नतीजों पर गहन विचार विमर्श के लिए इस सेमिनार में विभन्न शिक्षविद, सामाजिक कार्यकर्त्ता के साथ साथ विभन्न सामाजिक संगठनो के प्रतिनिधियों ने भाग लिया|

इस सर्वे/स्टडी में किशोरों, युवाओं, माता-पिता और शिक्षकों से जानकारी एकत्रित की गई गई कि वे जीवन कौशल के बारे में क्या समझते हैं और जीवन में किन कौशलों को महत्वपूर्ण माना जाता है ?

इस सर्वे के अध्ययन से एक महत्वपूर्ण जानकारी यह प्राप्त हुई कि युवा अपने जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने में जीवन कौशल के महत्व को समझते हैं । एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि स्कूली शिक्षा का जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है , इसलिए स्कूली शिक्षकों को अपने छात्रों के साथ जीवन कौशल पाठ्यक्रम को लागू करने लिए प्रयासरत रहना चाहिए।

इस अवसर पर ब्रेकथ्रू की सीईओ सोहिनी भट्टाचार्य ने कहा, “जीवन कौशल शिक्षा व्यक्तिगत विकास और समझ को प्रभावित करती है। गहरे समाजीकरण प्रक्रियाओं और भेदभावपूर्ण लिंग मानदंडों का अर्थ है कि लिंग-विशिष्ट दृष्टिकोण और अपेक्षित व्यवहार पहले ही निर्धारित किए जा चुके हैं। इस तरह के दृष्टिकोण तय करते हैं कि विभिन्न लैंगिकता के लोग कैसे जीवन कौशल का अनुभव करते हैं या जीवन कौशल भी सिखाते हैं। यदि आप सावधान नहीं हैं, तो लिंग-विशिष्ट कारक किशोरों के लिए जीवन कौशल शिक्षा के पूर्ण कार्यान्वयन के विरुद्ध कार्य करना जारी रख सकते हैं। ब्रेकथ्रू इस विशिष्ट लेंस को सहयोगी के लिए लाता है। जीवन कौशल शिक्षा जानबूझकर किशोरों को विभिन्न लिंगों के बारे में प्रचलित विश्वासों, दृष्टिकोणों और अपेक्षाओं के बारे में गंभीर रूप से सोचने के लिए प्रेरित कर सकती है और अधिक लैंगिक समान राय और दृष्टिकोण विकसित कर सकती है जो विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।


राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने भी शिक्षा प्रणाली में जीवन कौशल के महत्व को मान्यता दी है। डॉ. देवलीना चटर्जी, सीनियर रिसर्च एसोसिएट,एएसईआर सेंटर, प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन ने बताया कि , “मुझे एहसास हुआ है कि इनमें से प्रत्येक कौशल काम, घर और समुदाय में कई चुनौतियों से निपटने के लिए कितना महत्वपूर्ण है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैंने महसूस किया है कि इन कौशलों को सीखना एक जीवन भर की यात्रा है।”


क्वेस्ट एलायंस से स्नेहल शाह ने बताया कि “यह अनुमान लगाया गया है कि आज स्कूल शुरू करने वाले 65% बच्चे ऐसी नौकरी करेंगे जो अभी मौजूद नहीं है। 21वीं सदी में, एक विविध, रचनात्मक और नेटवर्क वाली दुनिया में फलने-फूलने में सक्षम होने के लिए व्यक्तियों की आवश्यकताएं तेजी से बदल रही हैं। इसके लिए व्यक्तियों को एजेंसी का प्रयोग करने, परिवर्तन एजेंट बनने और समाज के उत्पादक नागरिकों के रूप में भाग लेने में सक्षम होने के लिए अनिश्चितताओं के माध्यम से नेविगेट करने में सक्षम होने की आवश्यकता है।”

लाइफ स्किल्स कोलैबोरेटिव के वैभव गुप्ता ने कहा, “हमारी दुनिया का तेजी से विकास, अप्रत्याशित भविष्य की नौकरियां, जलवायु परिवर्तन और बेरोजगारी जैसी चुनौतियाँ युवाओं के सामने आ रही हैं । इस परिवेश में लचीलापन, सहानुभूति और अनुकूलनशीलता जैसे जीवन कौशल उभर कर सामने आएंगे।” इस अवसर पर लाइफ स्किल्स के महत्व को बताते हुए एक नाटक का भी मंचन किया गया।