दिल्ली:
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र के लिए हाल ही में हुए उपचुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाले संयुक्त वाम-कांग्रेस गठबंधन के मॉडल ने एक और स्थानीय निकाय चुनाव में सत्ताधारी पार्टी के गढ़ में इसी तरह की सफलता हासिल कर सबको चौंका दिया है। इसे सागरदिघी मॉडल की सफलता माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि गठबंधन अब इसी मॉडल को प्रमुखता से लागू करेगा।

दरअसल पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले के बंदरगाह शहर हल्दिया में हल्दिया डॉक संस्थान के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन ने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी को बुरी तरह पछाड़ दिया। इस चुनाव में कांग्रेस और सीपीआई (एम) के ट्रेड यूनियन के गठबंधन से जुड़े उम्मीदवार सभी 19 पदों पर विजयी हुए।

हल्दिया डॉक इंस्टीट्यूट वास्तव में कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के तहत हल्दिया डॉक कॉम्प्लेक्स के कर्मचारियों द्वारा संचालित एक संगठन है। इसके पदाधिकारियों के चुनाव हर दो साल के अंतराल पर होते हैं। दो साल पहले हुए इसके चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों ने अधिकांश पदों पर जीत हासिल की थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहले सागरदिघी उपचुनाव और फिर हल्दिया डॉक इंस्टीट्यूट के परिणाम सत्ता के खेल में कांग्रेस-वाम गठबंधन के पुनरुत्थान का एक सूक्ष्म संकेत है।

हल्दिया के स्थानीय सीपीआई (एम) नेता बिमन कुमार मिस्त्री ने भी कहा कि हल्दिया डॉक इंस्टीट्यूट में उन्होंने बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस दोनों के खिलाफ प्रचार के लिए सागरदिघी मॉडल लागू किया। उन्होंने कहा कि परिणाम सकारात्मक रहे हैं। केंद्र और राज्य में सत्ताधारी दलों के सभी प्रयास एकजुट विपक्ष के सामने विफल रहे। आने वाले दिनों में भी हम इसी मॉडल के साथ आगे बढ़ेंगे।