लखनऊ

9 महीने के बाद आसिफी मस्जिद में फिर से शुरू हुई जुमा की नमाज़

लखनऊ: कोरोना वायरस के कारण 9 महीने के अंतराल के बाद आज लखनऊ की शाही आसिफी मस्जिद में जुमा की नमाज़ फिर शुरू हुई। इमामे जुमा मौलाना सैयद कलबे जवाद नकवी ने लोगों से अपील की थी कि वह कोरोना गाईडलाइन का पालन करते हुए जुमा की नमाज़ के लिए मस्जिद जाएँ। मस्जिद में मास्क और सैनिटाइज़र का इंतेज़मा था। नमाज़ियों ने कोरोना गाईडलाइन के मुताबक़ि जुमा की नमा़ज अदा की।

जुमा के खुतबे में मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण जुमा की नमाज नहीं हो रही थी। मराजेए किराम के फतवे भी इस संबंध में हैं जो पढ़े जा सकते हैं। ईरान और इराक़ सहित इस्लामिक देशों में नमाजे़ जुमा की नमाज़ नहीं हो रही थी। जुमे की नमाज़ अब वहां भी शुरू हो गई है। इसलिए मराजेए किराम के फतवे को ध्यान में रखते हुए, जुमे की नमाज़ को यहां भी फिर से शुरू किया जा रहा है। मौलाना ने कहा कि विरोधी हमेशा हर मुद्दे पर हमारी आलोचना करते हैं लेकिन आलोचना करने से पहले वह मराजेए किराम के फतवों को नहीं देखते हैं। या तो वह अज्ञानता से ऐसा करते हैं या वह जानबूझकर हमारा विरोध करते हैं। अयातुल्ला सिस्तानी और अन्य मराजेए किराम के फतवों के अनुसार जुमा की नमाज़ नहीं हो रही थी और अब कुछ परिस्थितियों में सुधार हुआ है और उन्होंने अनुमति दी है कि एक निश्चित दूरी पर नमाज़ पढी जा सकती है, इसलिए जुमा की नमाज़ फिर से शुरू हो गई है।

मौजूदा स्थिति का विश्लेषण करते हुए, मौलाना ने कहा कि दुनिया भर में शियों पर जुल्म और बर्बरता की जा रही है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और अन्य देशों में शियों का नरसंहार किया जा रहा है। कश्मीर में भी शिया पिछले 70 सालों से पिछड़ेपन का शिकार हैं। उनके विकास के लिए कोई महत्वपूर्ण काम नहीं किया गया है। सरकारों ने अन्य क्षेत्रों में काम किया है, लेकिन शिया क्षेत्रों की अनदेखी की गई है। वह बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित हो गए हैं। अब हम कश्मीर में शियों को उनके मूल अधिकार दिलवाने की कोशिश कर रहे हैं।

मौलाना ने पाकिस्तान में हज़ारा शियों के नरसंहार की निंदा की और कहा कि पाकिस्तान में हज़ारा कबीले के शिया मज़दूरों का नरसंहार निंदनीय था। उनकी क्या गलती थी? वह साधारण मजदूर थे। उनका एकमात्र अपराध यह था कि वह शिया थे। मौलाना ने कहा कि मुस्लिम मौलवी शियों पर हो रहे जुल्म पर चुप रहते हैं, लेकिन जब दूसरी क़ौमो पर अत्याचार होता है, तो वह उस जुल्म के खिलाफ फतवे जारी करते है। हमने हमेशा मुसलमानों के उत्पीड़न और उनपर होने वाले जुल्म के खिलाफ विरोध प्रर्दशन किया है और ऐसा करना जारी रखेंगे, चाहे वह फिलिस्तीन में इजरायल का आतंकवाद हो या दिल्ली और मुजफ्फरनगर में हुए दंगे हों। हम हर जगह पर पहुंचे और मुसलमानों की स्थिति का जायज़ा लिया और ज़ालिमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली के दंगों के बाद, किसी भी मुस्लिम नेता ने स्थिति का जायज़ा लेने के लिए अपना घर छोड़ने की हिम्मत नहीं की, वही स्थिति मुजफ्फरनगर दंगों के बाद देखी गई। राजनीतिक दलों के तलवे चाटने वाले मौलवी घटनास्थल से गायब थे। लेकिन हम हर जगह गए। मज़लूमों और पीड़ितों से मुलाकात की, उनकी समस्याओं को सुना और ज़ालिमों के खिलाफ आवाज़ उठाई। दुर्भाग्य से, जब शियों पर अत्याचार किया जाता है, तो मुसलमानों की ज़ुबान नहीं खुलती। मौलाना ने कहा कि वह शिया नहीं हो सकते जो उत्पीड़न,ज़ुलम और ज़ालिमों के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाता।

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