दिल्ली:
यूपी सरकार के भारी विरोध के बावजूद केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी. इस मामले की सुनवाई CJI यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच कर रही है. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि कप्पन के चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसका एक राष्ट्र विरोधी एजेंडा है. सिद्दीकी कप्पन देश में धार्मिक कलह और आतंक फैलाने की बड़ी साजिश का हिस्सा है.

यूपी सरकार के मुताबिक कप्पन CAA-NRC और बाबरी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले व हाथरस की घटना को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश का बड़ा हिस्सा है. वो SFI के वित्तीय शोधनकर्ता, रऊफ शरीफ के साथ साजिश रच रहा था. 2010 में PFI कैडर ने ( पहले सिमी) ने बेरहमी से न्यूमैन कॉलेज के क्रिश्चियन लेक्चरर टीजे थॉमस के हाथ काट दिए थे. 2013 में जब PFI समर्थित हथियार प्रशिक्षण आतंकवादी शिविर पर केरल पुलिस ने नारथ में छापा मारा था, जिसकी NIA ने जांच शुरू की थी.

बता दें कि 29 अगस्त को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करके पांच सितंबर तक जवाब मांगा था. यूपी सरकार ने नोटिस स्वीकार किया था. कप्पन की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा था कि सिर्फ 45 हजार रुपये बैंक में जमा कराने का आरोप है. PFI कोई बैन या आतंकी संगठन नहीं बनाया गया है. वो अक्टूबर 2020 से जेल में है. वो पत्रकार है और हाथरस की घटना की कवेरज़ के लिए जा रहा था.