आयुर्वेद में जामुन का इस्तेमाल कई रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। जामुन, जिसे ब्लैक प्लम या इंडियन ब्लैकबेरी के नाम से भी जाना जाता है। एक ऐसा फल है, जो आमतौर पर स्वाद में मीठा या खट्टा होता है और इसका सेवन ताजे फल के रूप में या जूस के रूप में किया जाता है। इसके अलावा जामुन को चिकित्सा दृष्टी से भी बहुत फायदेमंद फल माना जाता है।

भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में जामुन से कई दवाओं का निर्माण किया जाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दवा बनाने में जामुन के बीज, फल, पत्ते, छाल आदि का उपयोग किया जाता है। सबसे बड़ी बात की जामुन मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण मानी जाती है।

जी हां, आयुर्वेद में जामुन के गुठली से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। शुगर में जामुन के चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ लेने से रोगियों को बहुत फायदा होता है और कभी-कभी तो जामुन के बीज के चूर्ण से शुगर के रोग को जड़ से भी खत्म किया जा सकता है। इसके अलावा जामुन पाचन को बेहतर बनाने और पथरी के इलाज में भी बहुत फायदेमंद माना जाता है।

दरअसल जामुन में कई न्यूट्रिएंट्स की भरमार होती है। जामुन एंटीऑक्सिडेंट, फास्फोरस, कैल्शियम और फ्लेवोनोइड से भरा होता है। इसके खाने से हमें फाइबर, फोलिक एसिड, फैट, प्रोटीन, सोडियम, राइबोफ्लेविन, थायमिन, कैरोटीन आदि मिलता है।

यही कारण है कि भारत में जामुन के औषधीय गुण प्राचीन काल में भी प्रचलित हैं। आयुर्वेद में जामुन की छाल को ब्लड प्यूरीफायर रहा गया है। इसकी छाल में ऐसे तत्व पाये जाते हैं, जो न केवल खून को साफ करते हैं बल्कि स्किन में भी निखार लाते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार जामुन आंखों में जलन, कीचड़ आना और दर्द में राहत देता है। इसके लिए जामुन के 15-20 पत्तों को पानी में मिलाकर पकाना चाहिए। जब यह काढ़ा गर्म उबलते-उबलते एक चौथाई बच जाए, तो उसे ठंडा करके आंखों की सफाई करनी चाहिए। इस उपाय से आंखों की कई समस्याओं में लाभ होता है।

आयुर्वेद में जामुन का प्रयोग मधुमेह को नियंत्रत करने के लिए किया जाता है। दरअसल जामुन के बीज में जैम्बोलिन और जैम्बोसाइन नामक तत्व होते हैं, जो रक्त शर्करा की दर को धीमा कर देते हैं और शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाते हैं। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण यह शुगर के रोगियों के लिए उपयुक्त है। यह स्टार्च को ऊर्जा में परिवर्तित करता है और मधुमेह के लक्षणों जैसे बार-बार पेशाब लगने को कम करता है।

आयुर्वेद कहता है कि पेट की गर्मी से, या खानपान में बदलाव के कारण मुंह में छालों की समस्या पैदा होती है। अगर ऐसा हो तो जामुन के पत्तों के रस से कुल्ला करने पर मुंह के छालों में आराम होता है। जामुन की कसैली तासीर छालों की लाली और इनसे होने वाले दर्द को कम करते हैं। इसके साथ ही जामुन गले में होने वाले दर्द और गले की अन्य समस्याओं से आराम दिलाने बहुत फायदेमंद है।

जामुन में कम कैलोरी और उच्च फाइबर होते हैं। जिसके कारण जामुन वजन घटाने वाले सभी आहारों और व्यंजनों में प्रमुख माना जाता है। जामुन से पाचन में सुधार हता है और और औषधीय गुण शरीर के चयापचय को बढ़ावा देने के अलावा वॉटर रिटेंशन को कम करने में मदद करते हैं। जामुन भूख को कम करने में मदद करता है।

चूंकि जामुन में विटामिन सी और आयरन भरपूर मात्रा में होता है। इस काऱण से यह खून में हीमोग्लोबिन काउंट को बेहतर बनाने में मदद करता है। जामुन में मौजूद आयरन ब्लड प्यूरीफायर का काम करता है। शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ने से ऑक्सीजन की वहन करने की क्षमता भी बढ़ जाती है।