अंतिम समय तक नहीं छोड़ा अपने कोरोना संदिग्ध दोस्त अमृत का हाथ

नई दिल्ली: कोरोना के काले काल में मानवता के उजाले की किरणे भी फूटती हुई नज़ार आती हैं और यह किरणे उम्मीद बांधती हैं , यह बताती है कि अभी इंसानियत मरी नहीं , यह किरणे बताती हैं अधर्मी देश में भले धर्म का ज़हर फैला रहे हों मगर जब तक याकूब जैसे लोग हैं साम्प्र्दायिक सौहार्द की मिसालें क़ायम रहेंगी, मानवता जीत जाएगी।

यह बात याकूब और अमृत की दोस्ती की हो रही है| घटना कुछ यूँ है कि कोरोना संदिग्ध 24 वर्षीय अमृत गुजरात के सूरत से यूपी के बस्ती जिला स्थित अपने घर एक ट्रक के जरिए लौट रहा था। उस ट्रक में कई और लोग सवार थे। ट्रक जब मध्य प्रदेश के शिवपुरी-झांसी फोरलेन से गुजर रहा था, तभी अमृत की तबीयत बिगड़ने लगी। साथियों को लगा कि अमृत को कोरोना है, इसलिए डर के मारे उसे वहीं उतार दिया। परेशान हाल अमृत का क्या होगा, किसी ने नहीं सोचा, सिवाय याकूब मोहम्मद के।

जब ट्रकवाले ने अमृत को ट्रक से उतारा तो याकूब ने उसका साथ नहीं छोड़ा और खुद भी ट्रक से उतर गया। अमृत बेहोशी की हालत में था। दोस्त को ऐसी हालत में देखते हुए याकूब ने कोरोना के डर के बावजूद अमृत का हाथ थामा और उसका सिर अपनी गोद में रख लिया। लोगों ने उसे देखा तो और लोग मदद को आये और अमृत को लेकर याकूब जिला अस्पताल तक पहुंचा। अमृत की गंभीर हालत देखते हुए डॉक्टरों ने उसे तुरंत वेंटीलेटर पर रखा, लेकिन इलाज के दौरान अमृत ने दम तोड़ दिया।

जिला अस्पताल में मौजूद याकूब मोहम्मद (23) पुत्र मोहम्मद युनुस ने बताया कि हम दोनों गुजरात के सूरत स्थित फैक्ट्री में मशीन से कपड़ा बुनने का काम करते थे। लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री बंद हो गई। सूरत से ट्रक में 4-4 हजार रुपये किराया देकर नासिक, इंदौर होते हुए कानपुर लौट रहे थे। सफर के दौरान अचानक अमृत की हालत बिगड़ गई। अमृत को तेज बुखार आया और उल्टी जैसी स्थित बनने लगी, हालांकि उल्टियां नहीं हुईं। ट्रक में बैठे 55-60 लोग विरोध करने लगे और अमृत को उतारने की जिद करने लगे। ट्रकवाले ने अमृत को उतार दिया तो अमृत का ख्याल रखने के लिए मैं भी उतर गया।

जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. पीके खरे ने बताया कि मजदूर अमृत (24) पुत्र रामचरण सूरत गुजरात से यूपी के जिला बस्ती जा रहा था। खरे ने बताया है कि मृतक अमृत और उसके साथी का कोरोना टेस्ट कराया गया है, रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है।