तेहरान: फॉरेन पॉलिसी की रिपोर्ट में आया है कि हमास (Hamas) और ईरान में उसके समर्थकों का यह मानना है कि यह जंग (ग़ज़्ज़ा की 11 दिन की जंग) हमास के लिए एक जीत थी। हमास रॉकेटों से रणनैतिक ढाँचों के निशाना बनाने में कामयाब रहा। ज़ाहिरी तौर पर हमास का लक्ष्य बहुत ज़्यादा रॉकेट फ़ायर करके आयरन डोम (Iron Dome) की क्षमता को टेस्ट करना था। कुछ मिनट में 140 से ज़्यादा रॉकेट फ़ायर हुए और तेल अबिब, अश्दूद और अश्कलोन के आसमान में रौशनी फैल गयी। इस जंग का संदेश यह है कि शायद वह दिन आएगा जब इस्राईल का हवाई रक्षा तंत्र (air security system) रॉकेट की भरमार को नहीं रोक पाएगा।

तेल अबिब (Tel Aviv) यह नहीं कहता कि हमास के कितने रॉकेट को हवा में मार गिराया लेकिन 15 मई को कहा कि इस सिस्टम ने फ़ायर हुए 2300 रॉकेटों को हवा में नाकाम बनाया। इस आंकड़े की 2019 के मई महीने की स्थिति से तुलना कीजिए जिसमें ग़ज़्ज़ा से 690 रॉकेट फ़ायर हुए थे जिसमें से सिर्फ़ 240 को आयरन डोम इंटरसेप्ट पर पाया था।

बहुत से टीकाकार ग़ज़्ज़ा (Gaza) की हालिया जंग को नए दौर का आरंभ मान रहे हैं, हालांकि यह जंग पिछली जंग से मिलती जुलती है। हालांकि आयरन डोम मीज़ाईल तंत्र तेल अबिब, अश्कलोन सहित अतिग्रहित फ़िलिस्तीन के दूसरे शहरों पर रॉकेटों की बारिश को रोकने में निर्णायक रहा लेकिन यह ज़ाहिर हो गया कि ग़ज़्ज़ा से इस्राईल की ओर रॉकेट फ़ायर होने की अस्ल मुश्किल का कोई हल नहीं है।

इस्राईल (Israel) को इसी बात का डर सता रहा है कि जल्द ही कई मोर्चे पर उसे जंग का सामना है और उसके दुश्मन इसे समझते हैं। आयरन डोम क्षेत्र के सामने वास्तविक ख़तरे पर टैक्टिकल रिएक्शन है। इस्राईल का अनुमान है कि अगली जंग में हिज़्बुल्लाह रोज़ाना 2000 रॉकेट मारेगा।

हमास के साथ ताज़ा जंग से ज़ाहिर हो गया कि आयरन डोम चाहे जितना उम्मीद के मुताबिक़, उपयोगी रहा, लेकिन जंग में कामयाबी का जादुई उपकरण नहीं है जो दुश्मन को रोक सके। इस्राईल के प्रीसिजन हमले की नीति के नतीजे में ग़ज़्ज़ा में दसियों लोग मारे गए। इतने बड़े पैमाने पर मौत को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय क़ुबूल करने के लिए तय्यार नहीं था जिससे इस्राईल पर जंग रोकने के लिए दबाब पड़ा।

आयरन डोम सिस्टम की वजह से इस्राईल एक दशक से ज़्यादा वक़्त तक ज़मीनी जंग से बचा रहा। लेकिन शायद अब उसके रणनैतिक चरम का वक़्त आ गया है जो बता रहा है कि इस्राईल को नई डिज़ाइन की ज़रूरत है।