तेल अवीव:
इजरायल-हमास युद्ध को लेकर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ इजरायली जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बताया जा रहा है कि लोग पीएम नेतन्याहू के युद्ध नेतृत्व से खासा नाराज हैं और लोगों को लग रह है कि पीएम नेतन्याहू जिस तरह से हमास लड़ाकों के खिलाफ एक्शन ले रहे हैं, वो बहुत ज्यादा असरदार नहीं है।
लोगों के बढ़ते आक्रोश का अंदाजा उस वक्त लगा, जब एक इज़रायली कैबिनेट मंत्री राजधानी तेल अवीव के अस्पताल में दौरा करने के लिए पहुंचे लेकिन मरीजों के परिजनों ने उन्हें प्रवेश द्वार से रोक दिया। इसके अलावा हमले में मारे गये एक इजरायली परिवार के एक शख्स ने गुस्से में आकर मंत्री के उपर कॉफी फेंक दी। हालांकि मंत्री इस कॉफी हमले में बच गये लेकिन उनके साथ खड़े अंगरक्षक भीग गए।
इस दौरान अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ और पीड़ित परिवारों के अधिकांश सदस्यों ने उन्हें चिल्लाकर ‘देशद्रोही’ और ‘बेवकूफ’ मंत्री कहा।
इस पूरे मामले में एक बात सामने आयी है कि 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किये गये हमले के बाद इजरायली एक-दूसरे के प्रति एकजुट हैं लेकिन जनता नेतन्याहू सरकार के प्रति बहुत ज्यादा नाराज है। लोगों का आरोप है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने देश की सुरक्षा को कम किया और उसे गाजा युद्ध में झोंक दिया है।
इस पूरे घटनाक्रम में एक बात को स्पष्ट है कि इजरायल की राजनीतिक में लंबा सफर तय करने वाले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए फैसले का दिन निकट है। लगभग 1,300 इजरायली मौतों पर जनता का गुस्सा सीधे तौर पर नेतन्याहू के खिलाफ दिखाई दे रहा है।
इजरायल के सियासी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अक्टूबर 2023 के युद्ध में प्रधानमंत्री नेतन्याहू की हार होती है तो उनका हाल भी अक्टूबर 1973 में हुए मिस्र और सीरियाई युद्ध के समान हो सकता है। जिसके कारण इजरायल की तत्कालीन प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर को इस्तीफा देना पड़ा था।
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