तेहरान: ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ का कहना है कि तेहरान, को यूरोप और पश्चिम के हथियारों की कोई ज़रूरत नहीं है, और अक्तूबर में राष्ट्र संघ के प्रतिबंध हटने के बाद, वह रूस और चीन से अपनी ज़रूरत के हथियार ख़रीदेगा।

ज़रीफ़ ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कहाः हम यूरोपीय हथियारों के ख़रीदार नहीं हैं, वैसे भी उन्होंने 1979 की क्रांति के बाद से हमें हथियार नहीं बेचे हैं, यहां तक कि 1980 के दशक में ईरान-इराक़ युद्ध के दौरान, उन्होंने तेहरान को हथियार नहीं बेचने का अभियान चलाया था।

उन्होंने अब हम उन्हें हथियार बेचने पर मजबूर नहीं कर सकते, और हमें उनके हथियारों की ज़रूरत भी नहीं है।

ज़रीफ़ का कहना था कि दुनिया में ख़रीदे जाने वाले हथियारों का एक चौथाई हिस्सा, फ़ार्स खाड़ी के देशों द्वारा ख़रीदा जाता है, लेकिन ईरान उसमें शामिल नहीं है।

उन्होंने कहा कि ईरान अपनी रणनीतिक ज़रूरतों को रूस और चीन जैसे देशों से हथियार ख़रीदकर पूरा कर सकता है, वैसे भी देश अधिकांश हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भर है, बल्कि निर्यातक भी है।

उन्होंने ईरान की सशस्त्र सेनाओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ईरान, रक्षा क्षेत्र में काफ़ी हद तक आत्मनिर्भर है, जबकि राष्ट्र संघ के प्रतिबंधों के हटने के बाद, वह अपनी ज़रूरत के मुताबिक़, दूसरे देशों से हथियारों के व्यापार के लिए आज़ाद होगा।

ग़ौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान पर प्रतिबंधों को लेकर मुंह की खाने के बाद, वाशिंगटन ने दावा किया है कि जो भी देश या कंपनी, ईरान के साथ हथियारों का व्यापार करेगी, उसे अमरीकी बाज़ार से हाथ धोना पड़ेगा।

इस प्रकार, अमरीका हथियार बनाने वाली यूरोपीय कंपनियों को ईरान के साथ व्यापार से रोक सकता है, जिनकी ईरान को ज़रूरत भी नहीं है, लेकिन अब उसमें इतना दम नहीं बचा है कि चीन और रूस को ईरान के साथ पारम्परिक हथियारों के व्यापार से रोक सकेगा।