मिश्रिख (सीतापुर )
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर डॉ. नीरज त्रिपाठी, प्राचार्य के मार्गदर्शन में मनाया गया! योग प्रशिक्षक के रूप में डा सबा अज़ीज़ फ़ातिमा ने सर्वप्रथम प्रार्थना की करायी, प्रार्थना में यह बताया गया कि हम सभी प्रेम से मिलकर चलें, मिलकर बोलें और सभी ज्ञानी बने, अपने पूर्वजों की भांति हम सभी कर्तव्यों का पालन करें!

इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. नीरज त्रिपाठी ने बताया कि योग का वर्गीकरण चार भागों में किया गया है, पहला है कर्म योग, दूसरा ज्ञान योग, तीसरा भक्ति योग और चौथा क्रिया योग है! योग के आसन कई प्रकार के होते हैं, जिसमें अर्धचक्रासन, भुजंगासन, चक्रासन और धनुरासन आदि शामिल है! योग की क्रियाएं हमारे जीवन को निरोग बनाने में मददगार है! योग कैसे शारीरिक और मानसिक रोगों को ठीक कर सकता है, इस बारे में जागरूकता फैलाना बी हमारा मुख्य उद्देश्य होना चहाइये जिनके माध्यम से लोगों को बेहतर मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा मिल सके!

डॉ. सबा अज़ीज़ फ़ातिमा ने कहा की योग से इम्युनिटी बढ़ाने में मदद मिलती है और योग नस्ल, रंग, लिंग, धर्म और राष्ट्रों के आधार पर भेदभाव नहीं करता है! कोरोना वायरस कोविड-19 हमारे श्वसन तंत्र पर हमला करता है जो प्राणायाम या सांस लेने संबंधी अभ्यास से मजबूत होता है! मुद्राओं का अभ्यास एवं योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाइये! यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि ये आठ हिस्से अष्टांग योग के है! आसन इन सबका जोड़ है लेकिन यम और नियम पर विशेष जोर देने की आवश्यकता है, तभी अष्टांग योग का लाभ जीवन में मिल सकता है! योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं व कुछ समय योग के लिए अवश्य निकाले! नियमित योग अभ्यास से मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक स्वास्थ्य बेहतर होता है! यह आपकी जीवनशैली को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है! डा सबा ने खड़े होकर किये जाने वाले अभ्यास में ग्रीवा चालन, स्कंध संचालन, कटिचालन, घुटना संचालन किये गये। योगासन के तहत ताड़ासन, वृक्षासन, पदाहस्तासन, अर्धचक्रासन, त्रिकोणासन किये गये! बैठक किये जाने वाले आसानों में भद्रासन, ब्रजासन, अर्धउष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, वक्रासन किये गये! उदर के बल लेटकर किये जाने वाले आसनों में मकरासन, शलभासन, सेतुबंधासन, अर्धहलासन, पवनमुक्तासन, शवासन किये गये! प्राणायाम के तहत कपालभांति, अनुलोम -विलोम, शीतली, भ्र्रमरी किये गये! ध्यान के महत्व को बताते हुए कहा कि यह नकारात्मक भावनाओं को दूर रखता है, भय, क्रोध, अवसाद, चिंता को दूर करता है और सकारात्मक भावनाओं को विकसित करने में सहायता करता है!

डॉ. रचना भारती ने कहा कि योग रामबाण औषधि की तरह है! योग का अर्थ है, जोड़ना, आप सभी निरोग रहें, स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें और सामूहिक योग करने के साथ ही साथ अपने घर में रहकर भी योग करें! दैनिक जीवन में योग को शामिल करना सबसे स्वास्थ्यप्रद अभ्यासों में से एक है जिसे लोग कभी भी बना सकते हैं! यह न केवल आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाता है बल्कि आपके मन और आत्मा को भी शांत करता है!

इस अवसर पर प्रमोद वैष्णय, डॉ. ज्योति, ममता, श्रीमती नन्दिता, विवेक तथा समस्‍त महाविद्यालय स्‍टॉफ एवं छात्राऐं उपस्थित थीं!अंत में सभी को संकल्प दिलाया गया कि मैं सदैव अपनी सोंच में संतुलन रखूंगा, मैं अपने कर्तव्य निर्वाहन के प्रति, कुटुंब और कार्य के प्रति तथा समाज व विश्व में शांति स्वास्थ्य और सौहार्द के प्रचार के लिए कृत संकल्पित हूँ। अंत में सभीजन शांति पाठ किए!