वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत कर्ज भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों और व्यक्तिगत गारंटी देने वालों के खिलाफ साथ-साथ दिवाला कार्रवाई चल सकती है. सीतारमण ने शनिवार को राज्यसभा में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2020 पर चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही. राज्यसभा में यह विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. यह विधेयक इस बारे में जून में लाए गए अध्यादेश की जगह लेगा.

कुछ सदस्यों द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने पर सीतारमण ने शनिवार को कहा कि कई बार कर्ज लेने वाली कंपनियों की ओर कुछ गारंटर होते हैं. ऐसे में कॉम्प्रिहैन्सिव कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रेजोल्यूशन एंड लिक्विडेशन के लिए उनका मानना है कि जहां तक संभव हो, कॉरपोरेट कर्जदार और उसके गारंटर के खिलाफ साथ-साथ दिवाला कार्रवाई की जाए.

सरकार आईबीसी में संशोधन के लिए जून में अध्यादेश लेकर आई थी. इसके तहत यह प्रावधान किया गया था कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से 25 मार्च से छह महीने तक कोई नई दिवाला कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी. देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च को ही लॉकडाउन लगाया गया था. वित्त मंत्री ने साफ किया कि 25 मार्च से पहले कर्ज भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया के तहत कार्रवाई जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि इस संशोधन से ऐसी कंपनियों को राहत नहीं मिलेगी.