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नाकाम इश्क़ में क्या इंसान इतना पागल हो जाता है कि वह सात लोगों को ज़िंदा जला दे, इंदौर अग्निकांड के खुलासे से तो यह पता चला है. इस सिरफिरे आशिक़ की करतूत की वजह सात निर्दोष लोग ज़िंदा आग में जलकर मर गए.

पुलिस ने नाटकीय घटनाक्रम के दौरान घायल अवस्था में इस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया. एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार सुबह यह जानकारी दी. अधिकारी का दावा है कि पुलिस दल से बचकर भागने की कोशिश में आरोपी सड़क पर गिरकर घायल हो गया.

पुलिस के मुताबिक स्वर्ण बाग कॉलोनी की रिहायशी इमारत में भीषण अग्निकांड के आरोपी शुभम दीक्षित उर्फ संजय (27) को लोहामंडी क्षेत्र से शनिवार और रविवार की दरमियानी रात गिरफ्तार किया गया. दीक्षित मूलतः उत्तर प्रदेश के झांसी का रहने वाला है और पिछले कुछ समय से इंदौर में एक निजी कंपनी के लिए काम कर रहा था.

पुलिस ने बताया कि अग्निकांड के बाद फरार दीक्षित निरंजनपुर में अपने दोस्तों के घर में छिपा था और बाद में वह लोहामंडी क्षेत्र पहुंच गया. उन्होंने बताया कि आरोपी से विस्तृत पूछताछ की जा रही है.

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, दीक्षित ने एक महिला से शादी की कोशिश में नाकाम रहने के बाद उससे बदला लेने की नीयत से स्वर्ण बाग कॉलोनी की रिहायशी इमारत की पार्किंग में खड़े उसके स्कूटर में शुक्रवार और शनिवार की मध्य रात आग लगा दी थी. उन्होंने बताया कि बाद में लपटों ने विकराल रूप धारण कर लिया था.

अधिकारियों के अनुसार, अग्निकांड में एक दंपति समेत सात लोगों की मौत हो गई थी, जबकि नौ अन्य घायल हो गए थे. उन्होंने बताया कि पुलिस ने दीक्षित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और 436 (भवन को जलाकर खाक करने की नीयत से ज्वलनशील पदार्थ का इस्तेमाल करना) के तहत मामला दर्ज किया है.

अधिकारियों के मुताबिक, दीक्षित आग से प्रभावित रिहाइशी इमारत के एक फ्लैट में छह महीने पहले किरायेदार के रूप में रहता था और इस भवन में ही रहने वाली महिला से शादी करना चाहता था, लेकिन महिला की शादी कहीं और तय हो गई थी, जिससे दीक्षित ने उसके प्रति कथित तौर पर खुन्नस पाल ली थी.