स्पोर्ट्स डेस्क
भारतीय पुरुष बैडमिंटन टीम ने इतिहास रचते हुए पहली बार थॉमस कप पर कब्जा कर लिया। टीम ने फाइनल में इंडोनेशिया की मजबूत टीम को 3-0 से हराकर पहली बार थॉमस कप का खिताब जीता।

किदांबी श्रीकांत ने तीसरा गेम जीतने के बाद ही भारत वह उपलब्धि दिला दी, जो अपने आप में किसी ओलिंपिक स्वर्ण पदक या विश्व कप जीतने से कम नहीं है. करोड़ों भारतीय खेलप्रेमियों की नजरें इस दिन पर लगी थीं. करोड़ों फैंस परिणाम को लेकर उत्सुक और चिंतित थे, लेकिन फाइनल में खेले तीनों मुकाबलों में भारत ने सभी को गलत साबित करते हुए पहली बार चैंपियन बनने का गौरव हासिल कर लिया.

शुरुआती दो गेम अपनने नाम कर चुके तीसरे और निर्णायक मुकाबले में भारत के किदांबी श्रीकांत का मुकाबला इंडोनेशिया के जोनाथन क्रिस्टी के साथ था, जिन्हें श्रीकांत ने पहले गेम में आसानी से 21-15 से मात देकर करोड़ों भारतीय खेलप्रेमियों को रोमांच से भर दिया, लेकिन दूसरे मुकाबले में क्रिस्टी और श्रीकांत के बीच जबर्दस्त टक्कर देखने को मिली. और दोनों ही खिलाड़ियों के नर्व सिस्टम की खासी परीक्षा हुई.

आखिरी पलों में मुकाबला बहुत ही मजेदार हुआ. एक समय श्रीकांत के पास 11-8 की बढ़त थी, लेकिन क्रिस्टी ने लोहा लेना जारी रखा. कभी श्रीकांत आगे, तो कभी क्रिस्टी! और यह आखिरी गेम एक समय 21-21 पर जाकर टिक गया. यहां से श्रीकांत ने दो और अंक बटोरे और श्रीकांत के 23-21 से मैच जीतने के साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया. टीवी सेट के सामने चिपके बैठे करोड़ों हिंदुस्तानी अपने-अपने घरों में झूम उठे क्योंकि यह ठीक वैसा ही नजारा था, जब पूरा हिंदुस्तान ओलिंंपिक के समय नीरज चोपड़ा के इर्द-गिर्द सिमट गया था.

बहरहाल, श्रीकांत के प्रयास और भारत की ऐतिहासिक जीत का आधार रखा शुरुआती दो मैचों ने. पहले दिन के पहले पहले मुकाबले में भारत के उदीयमान सुपर सितारे लक्ष्य सेन ने विश्व नंबर-4 खिलाड़ी एंथोनी सिनिसुका को 8-21, 21-17, 21-16 से हराकर भात को 1-0 की अहम बढ़त दिलायी थी. हालांकि, सेन की शुरुआत नर्वस भरी रही और पहले गेम में मानों उन्होंने एंथोनी के सामने सरेंडर कर दिया, लेकिन अगले दोनों गेमों में लक्ष्य सेन का एक अलग ही रूप देखने को मिला. ऐसा गजब बैडमिंटन खेला कि सेन की सर्विस और रिटर्न शॉटों के सामने एंथोनी की एक न चली. और अगले दोनों गेम जीतकर लक्ष्य ने भारत को बेस्ट ऑफ फाइव की जंग में भारत को 1-0 से आगे कर दिया.

लक्ष्य सेन की बढ़त के बाद और श्रीकांत के तीसरे गेम से पहले कारवां को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी डबल्स में सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी के ऊपर थी और इन्होंने भी भारतीय फैंस को बिल्कुल भी निराश नहीं किया. हालांकि, ये दोनों मोहम्मद एहसान और केविन संजय के खिलाफ शुरुआती संघर्षमयी गेम में 18-21 से जरूर हारे, लेकिन यहां से इनके खेल का स्तर नीचे आने के बजाय ऊपर की ओर ही गया. और अगले दो गेमों में भारतीय जोड़ी ने 23-21 और 21-19 से आखिरी दोनों गेम जीतकर भारत की बढ़ 2-0 करने के साथ ही खिताब जिताने का जिम्मा किदांबी श्रीकांत के कंधों पर डाल दिया, जिसे उन्होंने बहुत ही शिद्दतत के साथ सच साबित कर दिखाया.