उत्तराखंड सरकार को अपने लोगों की परेशानी समझनी चाहिए

दिल्ली:
ऑल इण्डिया उलमा व मशाइख बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष व वर्ल्ड सूफी फोरम के चेयरमैन हज़रत सैय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने हल्द्वानी में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद लगभग 50हजार लोगों के सर से छत छीने जाने की कार्यवाही को अमानवीय व्यवहार बताते हुए कहा कि हम सबको अदालत का सम्मान करना है लेकिन सवाल यह है कि जब मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में है तो इतनी जल्दबाजी क्यों की जा रही है।

वहीं जिस समय सरकारों का करोड़ो रुपया लोगों को रैन बसेरा बनाकर एक अस्थाई छत देने में खर्च होता है ऐसे समय में एक पहाड़ी राज्य में लोगों के सर से छत छीने जाने का क्रूर प्रयास किया जा रहा है ,इस पूरे मामले को बिला वजह हिंदू मुसलमान का चोला पहना दिया गया है जबकि यह सवाल सीधे तौर पर भारत के नागरिकों का है,इसे धर्म के चश्में से देखा जाना दुर्भगायपूर्ण है।

हज़रत ने कहा कि भारत मजलूमों के साथ खड़े होने से जुड़ेगा जब हम बिना भेद भाव के लोगों के दर्द में साथ खड़े होंगे सिर्फ नारों से देश से नफरत नहीं मिटाई जा सकती,उन्होंने कहा कि विपक्ष की खामोशी साफ तौर से दिल दुखाने वाली है ,हम लोग माननीय सर्वोच्च न्यायालय से उम्मीद रखते हैं कि वह लोगों को न्याय देगा और छोटे छोटे बच्चे और बूढ़े जो सड़कों पर खुले आसमान के नीचे बैठ कर अपने आशियाने बचाने की गुहार लगा रहे हैं उनके हक में फैसला देगा।

उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री से अपील करते हुए कहा कि सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के नारे का सम्मान करते हुए इस मामले में हस्तक्षेप करें और लोगों को इस कड़ाके की ठंड में राहत देने के लिए कोई प्रयास करें ऐसे समय में जब उत्तर भारत में शीत लहर चल रही है इस अमानवीय कार्यवाही को रोकने हेतु कोई सकारात्मक कदम उठाए।

सिर्फ राजनैतिक नफा नुकसान देखने से देश का बड़ा नुकसान हो रहा है यह बात सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को समझ आनी चाहिए ,देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी को जिस तरह टारगेट किया जा रहा है वह उचित नहीं है देश की संस्कृति के उलट है ,भारत जोड़ो यात्रा के यात्रियों को इस विषय में गंभीर होना चाहिए और मजलूमों के साथ खड़े होना चाहिए।