बिजनेस ब्यूरो
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन को वर्चुअली सम्बोधित करते हुए कहा कि जलवायु के मोर्चे पर भारत और दुनिया कठिन दौर से गुजर रही है। ग्लोबल वार्मिंग के खतरे सामने हैं ऐसे में हमारे पास केवल एक ही विकल्प है और वो है ग्रीन, साफ और नवीकरणीय एनर्जी को तेजी से अपनाना। इस आपदा को अवसर में बदल कर, भारत को ग्रीन एनर्जी का वर्ल्ड लीडर बनना होगा।

‘ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ का जिक्र करते हुए अंबानी ने कहा कि यह दोहरी रणनीति है इसमें एक तरफ भारत कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता कम होगी, दूसरी तरफ भारत वैश्विक प्रयासों की अगुवाई करके विश्व लीडर बनेगा। देश ने 100 गीगावाट अक्षय ऊर्जा का मुकाम हासिल कर लिया है। अब हम 2022 तक 175 गीगावाट के लक्ष्य की तरफ मजबूती से बढ़ रहे हैं।

भारत ग्रीन एनर्जी में वर्ल्ड लीडर कैसे बन सकता है, इसपर अपना विजन सांझा करते हुए अंबानी ने बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप प्रचुर मात्रा में अक्षय ऊर्जा संसाधनों से सराबोर है। यहां सूर्य देव, वायु देव प्रचुर ऊर्जा प्रदान करते हैं। एक वर्ष में 300 दिन धूप खिली रहती है। देश की केवल 0.5% भूमि का इस्तेमाल कर 1,000 गीगावट सौर ऊर्जा आसानी से उत्पन्न कर सकता है। टू-वे ग्रिड, माइक्रो-ग्रिड, बेहतर एनर्जी भंडारण समाधान और स्मार्ट मीटर में निवेश करके हम आम व्यक्ति तक इसे पहुंचा सकते हैं। भारत सरकार देश में एक ग्रीन हाइड्रोजन इको-सिस्टम बनाने की योजना बना रही है, जो निवेश को आकर्षित करेगी।

ग्रीन एनर्जी को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए अंबानी ने रिलायंस के न्यू एनर्जी बिजनेस का रोडमैप प्रतिनिधियों के सामने रखा। उन्होंने बताया कि हमने जामनगर में 5,000 एकड़ में धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स विकसित करना शुरू कर दिया है। यह दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत अक्षय ऊर्जा निर्माण सुविधाओं में से एक होगी। इस परिसर में चार गीगा फैक्ट्रियां होंगी, जो अक्षय ऊर्जा के पूरे स्पेक्ट्रम को कवर करती हैं। पहला एक एकीकृत सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल कारखाना होगा। दूसरा एक उन्नत ऊर्जा भंडारण बैटरी कारखाना होगा। तीसरा ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए इलेक्ट्रोलाइजर फैक्ट्री होगी। चौथा हाइड्रोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए एक ईंधन सेल कारखाना होगा। अगले तीन वर्षों में हम 75,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे।

मुकेश अम्बानी ने कहा, ग्रीन हाइड्रोजन को सबसे किफायती ईंधन बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास जारी हैं, इसकी लागत को शुरू में 2 अमरीकी डालर प्रति किलोग्राम से कम करने का है। अंबानी ने कहा कि मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं कि रिलायंस इस दशक के अंत से पहले इस लक्ष्य को हासिल कर लेगी। भारत 1 दशक में 1 किलोग्राम 1 डालर का लक्ष्य भी हासिल कर सकता है और ऐसा करने वाला वह विश्व का पहला देश बन सकता है।