इलियास आज़मी “हयात व खिदमात’ कांफ्रेंस वक्ताओं ने रखे विचार
लखनऊ:
पूर्व सांसद इलियास आज़मी की याद में सहकारिता भवन, लखनऊ में आज ‘‘इलियास आज़मी की हयात व खिदमात’’ शीर्षक से एक सेमीनार का आयोजन किया गया, इलियास आज़मी का बीमारी के चलते 5 जून, 2023 को दिल्‍ली के अपोलो अस्‍पताल में निधन हो गया था.कांफ्रेंस में शामिल समाज के विभिन्न क्षेत्रों की नामवर हस्तियों ने इलियास आज़मी के साथ बिताये हुये पल और उनके द्वारा समाज सेवा के कार्यों को साझा किया। सेमिनार को सम्बोधित करने वाले वक्ताओं ने कहा कि 88 बरस की उम्र में भी इलियास आज़मी साहब देश की राजनीति की गुत्थी सुलझाने का हौसला रखते थे. उन्हें हर वक्त देश और राष्ट्र की चिंता सताती रहती थी और वो समस्याओं के समाधान के प्रयास में हमेशा लगे रहते थे। यही वजह है कि दुनिया से जाने के बाद भी वो लोगों के ज़हन में आज भी मौजूद और महफूज़ हैं. सासंद श्‍याम सिंह यादव ने संयमित और सादगी भरा जीवन जीने वाले इलियास आज़मी साहब को याद करते हुए कहा कि उनके अधूरे कामों को पूरा करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

वक्ताओं ने अपने संबोधन में आगे कहा कि इलियास आजमी साहब बाबरी मस्जिद पुनर्स्थापना आंदोलन के संस्थापक सदस्यों में से थे. वह चाहते थे कि बाबरी मस्जिद की लड़ाई एक राष्ट्रीय मुद्दे के रूप में लड़ी जाए। उनका मानना ​​था कि इसे हिंदू-मुस्लिम समस्या बनाने से पूरा नुकसान होगा। लेकिन जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो वो इस आंदोलन से अलग हो गए. जिस दूरदर्शिता और राजनीतिक अंतर्दृष्टि के साथ उन्होंने डॉ. फरीदी के नेतृत्व में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे की लड़ाई लड़ी थी, वही दृष्टिकोण वह बाबरी मस्जिद के मामले में भी अपनाना चाहते थे।

इलियास आजमी साहब वैचारिक रूप से अल्लामा इकबाल और मौलाना मौदूदी के अनुयायी थे। राजनीतिक जीवन में रहते हुए उन्होंने डॉ. अब्दुल जलील फरीदी और डॉ. अम्बेडकर को अपना नेता माना। यही वजह है कि वह मुसलमानों और दलितों को एक मंच पर लाकर एक संयुक्त राजनीतिक शक्ति बनाने के पक्ष में थे। यही जुनून उन्हें काशीराम के करीब ले आया। उन्होंने दो लोकसभा चुनाव भी बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लड़े और जीते। वक्ताओं ने बताया कि इलियास आजमी साहब की ख़ास पहचान उनकी वैचारिक परिपक्वता थी। उन्होंने किसी समस्या पर जो राय स्थापित की उससे वो कभी पीछे नहीं हटे। इस मामले में उन्हें किसी की सहमति या नाराजगी से कोई सरोकार नहीं होता था। वो जनता के पीछे चलने वाले नेताओं में नहीं बल्कि हवा के रुख के विपरीत दूरदर्शी रणनीति विकसित करने वाले नेताओं में से थे।

कांफ्रेंस में सासंद श्‍याम सिंह यादव, सपा नेता शिवपाल सिंह यादव, पूर्व मंत्री स्‍वामीप्रसाद मौर्य, अरवि‍न्‍द सिंह गोप, अब्‍दुल मन्‍नान, के.के. गौतम, नसीम उद्दीन सिद्दीकी के अलावा पूर्व न्‍यायाधीश – बी0डी0 नक़वी, पूर्वआई.ए.एस डॉ0 अनीस अंसारी, पूर्व विधायक शाहाबाद, आसिफ खान ‘बब्‍बू’, पूर्वमंत्री- शकील नदवी, और कांग्रेस नेता-तारिक सिद्दीकी समेत राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों के लोगों ने बड़ी तादाद में शिरकत की। स्‍व. इलियास आज़मी साहब के बेटे अरशद सिद्दीकी, शकील सिद्दीकी, डॉ0 अलीम सिद्दीकी और शहबाज़ सिद्दीकी ने कांफ्रेंस में आये सभी लोगों का अभिवादन किया।