हमीरपुर:
स्थानीय टीबी सभागार में विश्व श्रवण दिवस पर बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय बधिरता बचाव एवं रोकथाम कार्यक्रम के बैनर तले कार्यशाला आयोजित हुई। इस मौके पर जिला अस्पताल में शिविर लगाकर लोगों की कान की जांच भी की गई।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ए. के. रावत ने कहा कि बढ़ती उम्र के साथ ही सुनने की क्षमता प्रभावित होती जाती है। इसलिए जैसे लोग अपने शरीर के अन्य अंगों का ख्याल रखते हैं ठीक उसी प्रकार से उन्हें अपने कानों का ध्यान रखना चाहिए। बहरेपन की बीमारी की वजह से लोग समाज से धीरे-धीरे मेलजोल कम करते जाते हैं। इससे हीन भावना भी पैदा होती है। जहां तेज ध्वनि विस्तारक यंत्र बज रहे हों वहां कानों का बचाव करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चों के सुनने की क्षमता का ख्याल जरूर रखना चाहिए क्योंकि यदि बच्चे के सुनने की क्षमता कम होगी तो उसका असर उसकी पढ़ाई पर भी पड़ेगा। जनपद में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के माध्यम से जन्मजात मूक-बधिर बच्चों के नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था है। कई बच्चों की नि:शुल्क कॉकलियर इम्प्लांट सर्जरी भी कराई गई है। इसी सर्जरी में निजी अस्पतालों में कम से कम पांच से आठ लाख रुपए खर्च होते हैं।

जिला अस्पताल के नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ.विकास यादव ने कहा कि दुनिया से कनेक्ट होने के लिए कानों का दुरुस्त होना जरूरी है। लोगों को समय-समय पर अपने सुनने की क्षमता की जांच कराते रहना चाहिए। जो व्यक्ति सुनने की क्षमता खो देते हैं, समाज से कटने लगते हैं। अस्पताल में कानों की लगभग सभी जांचें हो जाती हैं।

ऑडियोलॉजिस्ट सैय्यद मुशीर अली ने बताया कि कान तीन भागों में बंटा होता है। 60 साल की उम्र पार कर चुके लोगों को कानों की जांच जरूर करानी चाहिए क्योंकि इसी आयुवर्ग के लोगों की सुनने की क्षमता ज्यादा प्रभावित होती है। शून्य से पांच साल के बच्चों में भाषा का विकास होता है, लेकिन जो बच्चे सुन नहीं पाते, वह बोल पाने में भी सक्षम नहीं होते हैं। कार्यक्रम का संचालन जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी अनिल यादव ने किया। इस मौके पर एसीएमओ डॉ.पीके सिंह, डॉ.महेशचंद्रा, डॉ.रामअवतार, डॉ.आशुतोष निरंजन, डीपीएम सुरेंद्र साहू, लिपिक अशोक कुमार, अशोक श्रीवास्तव, राजेंद्र प्रसाद डीपीसी, आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर गौरीश राज पाल, काउंसलर वीरेंद्र यादव, जलीस खान आदि मौजूद रहे।