सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार की अपील, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पड़ेगा प्रभाव

नई दिल्ली: इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स (ICJ) ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को अवमानना के मामले में के उस फैसले पर चिंता जाहिर की है जिसमें आपराधिक अवमानना के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को दोषी ठहराया गया। आईसीजे ने कोर्ट से अपील की है कि वो आपराधिक अवमानना मामले में अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। 14 अगस्त और 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए फैसले का उल्लेख करते हुए कमीशन ने इसे ना केवल अंतर्राष्ट्रीय मानकों के हिसाब असंगत माना बल्कि कोर्ट द्वारा इस अधिकार के इस्तेमाल को जोखिम भरा माना है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पड़ेगा प्रभाव
अपनी इन चिंताओं पर कमीशन ने कहा कि दो ट्वीट के लिए प्रमुख मानवाधिकार अधिवक्ता को दोषी ठहराने के फैसले का भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभाव पड़ेगा। बता दें कि प्रशांत भूषण ने 29 जून को अपने ट्विटर हैंडल दो ट्वीट किए। इनमें उन्होंने महंगी बाइक पर बैठे चीफ जस्टिस बोबडे की तस्वीर ट्वीट करते हुए टिप्पणी की थी। दूसरे ट्वीट में उन्होंने भारत के हालात के संदर्भ में पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों की भूमिका पर अपनी राय प्रकट की थी।

दोषसिद्धि असंगत
मामले में 31 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि भूषण ने अपने बयान को पब्लिसिटी दिलाई उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने फैसले में भूषण के कदम को सही नहीं माना। प्रशांत भूषण मामले में सजा पर आईसीजे ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के हिसाब से दोषसिद्धि असंगत है।

प्रमुख हस्तियों ने जारी किया बयान
प्रशांत भूषण पर सजा मामले में कई प्रमुख हस्तियों ने एक बयान जारी कर कहा कि कोर्ट का निर्णय वकीलों के मुखर होने को हतोत्साहित करेगा। इस बयान में वरिष्ठ अधिवक्ता जनक द्वारका दास, नवरोज एच सेर्वेई, जयंत भूषण, दुष्यंत दवे, अरविंद पी दातार, हुजेफा अहमदी सहित कई प्रमुख वकीलों ने साइन किए हैं।