हमीरपुर
मलेरिया का इतिहास सिंधु घाटी की सभ्यता से है। मलेरिया से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। घरों में पानी का जमाव रोकें। कूलर-फ्रिज की नियमित सफाई करें। छोटे से आकार का मच्छर जानलेवा बीमारियों का जन्मदाता है।

उक्त विचार मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.एके रावत ने सोमवार को टीबी सभागार में विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बुंदेलखण्ड क्षेत्र में मच्छरों से मलेरिया, डेंगू और फाइलेरिया जैसी बीमारियां हो रही हैं। फाइलेरिया ऐसी बीमारी है जो कि व्यक्ति के लिए मृत्यु से भी बद्तर स्थितियां पैदा कर देती हैं। चिकनगुनिया और जापानी इंसेफलाइटिस भी मच्छरों की वजह से ही फैलता है। छोटे से आकार का मच्छर का इतिहास बहुत पुराना है। मलेरिया का इतिहास सिंधु घाटी की सभ्यता से चला आ रहा है।

सीएमओ ने आगे कहा कि लोग मच्छरों से खुद को बचाएं। घरों के अंदर एवं बाहर पानी का कतई जमाव न होने दें। अनुपयोगी चीजों में जो भी पानी है, उसे फेंक उल्टा करके रख दें ताकि जलभराव न हो सके। कूलर और फ्रिज के पिछले हिस्से में लगी प्लेट की नियमित साफ-सफाई करें। उन्होंने कहा कि डेंगू बुखार सभी आयुवर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है। डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर जमीन से सिर्फ चार फीट की ऊंचाई तक ही उड़ान भर पाता है। इसलिए पूरी बांह के कपड़ें पहनें। मच्छरदानी में सोएं। सरकारी अस्पतालों में मलेरिया की जांच और दवाओं के पर्याप्त इंतजाम है।

जिला मलेरिया अधिकारी आरके यादव ने बताया कि 25 अप्रैल 1897 में मलेरिया परजीवी की खोज डॉ.रोनाल्ड रॉस ने की थी। इस खोज के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इससे पहले दुनिया मलेरिया से परिचित नहीं थी और इसे गंदे हवा का नाम दिया जाता था। उन्होंने लोगों को डेंगू और मलेरिया के लक्षणों की जानकारी देते हुए इनसे बचाव के तरीके बताए।

जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी अनिल यादव ने कहा कि जिले में मलेरिया का ग्राफ कम हुआ है, यह अच्छा संकेत है। लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा। गोष्ठी में एसीएमओ डॉ.आरके कटियार, एआरओ गणेश, लिपिक हनुमान, मलेरिया निरीक्षक जयप्रकाश, अमित कुमार, अनिमेष कुमार, फाइलेरिया निरीक्षक सूरज खिरिया, राजेश कुमार रावत आदि मौजूद रहे।