लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा काम के घंटे बारह करने की जारी अधियूचना के खिलाफ वर्कर्स फ्रंट द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर आज मुख्य न्यायाधीश की खण्ड़पीठ ने सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर द्वारा दाखिल इस जनहित याचिका में अधिवक्ता प्रांजल शुक्ला व विनायक मित्तल द्वारा बहस की गयी। याचिकाकर्ता के पक्ष को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश की खण्ड़पीठ ने नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई की तिथि 18 मई निर्धारित की है।
हाईकोर्ट के निर्णय की जानकारी प्रेस को देते हुए याचिकाकर्ता व वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहा कि काम के घंटे बारह करने का सरकार का मजदूर विरोधी फैसला पूरे तौर पर मनमाना, विधि विरूद्ध और तानाशाहीपूर्ण है। राज्य सरकार को संविधान के तहत यह अधिकार ही प्राप्त नहीं है कि वह केन्द्रीय संसद द्वारा बनाए कारखाना अधिनियम में संशोधन कर दे। यही नहीं रोजगार देने की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली सरकार के इस निर्णय से मौजूदा वक्त में कार्यरत एक तिहाई श्रमिकों की छटंनी हो जायेगी। यह अधिसूचना संविधान प्रदत्त सम्मानजनक जीवन के मौलिक अधिकार का भी हनन है।
उन्होंने कहा कि ‘लोक आपात की कोटि‘ की परिस्थितियों का उपयोग कर सरकार लोक आपात में पदत्त शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकती और अभी तो केन्द्र व राज्य सरकार की तरफ से आपातकाल लगाने की कोई आधिकारिक घोषणा भी नहीं हुई है। सरकार की मनमानी और तानाशाही को परास्त किया जायेगा और मेहनतकशों के लोकतांत्रिक अधिकारों और उनके जीवन की रक्षा के लिए चौतरफा प्रयास किया जायेगा।
(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा) हम तो पहले ही कह रहे थे, ये इंडिया वाले क्या…
(अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर विशेष आलेख : संजय पराते) आजादी के आंदोलन में ट्रेड यूनियनों…
टी20 वर्ल्ड कप 2024 के लिए भारतीय टीम का ऐलान हो गया है. टीम की…
देहरादून: उत्तराखंड सरकार के द्वारा योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को तगड़ा झटका…
(आलेख : सुभाष गाताडे) लोकसभा चुनाव के प्रचार में कई भाजपा नेता संविधान बदलने के…
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के अग्रणी बैंकों में से एक, को…