लखनऊ:
बारिश का मौसम आते ही राजधानी लखनऊ के लगभग हर इलाके में जलभराव होना एक आम बात है, विशेषकर उन इलाकों की हालत तो बहुत दयनीय हो जाती है जिन इलाकों से गंदे नाले निकलते हैं। शहर की इस बड़ी समस्या पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने सख्त रुख अपनाया है और नगर निगम को इस समस्या के निदान के लिए आदेशित किया है.
लखनऊ के नालों पर नाजायज़ कब्ज़ों और उनकी वजह से सफाई आदि में कठिनाई होने पर वरिष्ठ पत्रकार संजोग वॉटर ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका डाली थी जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नगर निगम को इस समस्या को लेकर कई आदेश जारी किये हैं. याचिकाकर्ता के वकील निशांत श्रीवास्तव और विवेक कुमार सिंह ने बताया कि हमने माननीय न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार व माननीय न्यायमूर्ति रजनीश श्रीवास्तव के समक्ष तीन अनुरोध रखे थे, पहला अनुरोध था कि शहर के 110 नाले नालियों पर हुए अवैध कब्ज़ों को हटाया जाय जो नालों की सफाई में सबसे बड़ी रूकावट हैं, दूसरा अनुरोध था कि शहर में गंदे पानी की निकासी के लिए जो 48 बैरल पम्प लगे हैं, लगभग सभी ख़राब पड़े हैं इन्हें फ़ौरन सही करवाया जाय या नए लगवाए जांय, तीसरा अनुरोध था कि हर वर्ष नालों की सफाई अभियान में जो करोड़ों रूपये खर्च किये जाते हैं इसकी भी एक जांच कमेटी गठित कर जांच कराई जाय कि इसमें कितनी अनियमितता हो रही है.
एडवोकेट निशांत श्रीवास्तव ने बताया कि माननीय अदालत ने याचिकाकर्ता के तीनों अनुरोधों को गौर से सुना और उन्हें स्वीकारते हुए WPIL -374/2022 के संबंध में नगर निगम को आदेशित किया कि याचिका में दिए गए तथ्यों के आधार पर कार्यवाही की जाय. इसके अलावा नालों की सफाई साल में सिर्फ एकबार न होकर तीन बार कराई जाय.
अदालत के इस फैसले पर श्री संजोग वॉटर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह लखनऊवासियों की जीत है. आशा है कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद नगर निगम के अधिकारी शहर को जलभराव, नालों की सफाई और उनपर नाजायज़ कब्ज़े हटाने के लिए कार्रवाई ज़रूर करेंगे।
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