राघवेंद्र कुमार सड़क दुर्घटना से लोगों को मौत से बचाने के लिए 55 हजार हेलमेट बांटकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं. दुनिया अब इन्हें हेलमेट मैन के नाम से जानती है. अब तक 17 लोगों ने हेलमेट मैन को धन्यवाद किया है. नया जीवन पाकर जो सड़क हादसे के वक्त उनके दिए हुए हेलमेट ने जान बचाई. इस समय बिहार की राजधानी पटना में घूम घूम कर हेलमेट मैन सड़क दुर्घटना में किसी परिवार को मौत का कफन ना खरीदना पड़े इसीलिए पटना की सड़कों पर युवाओं को हेलमेट बांट रहे हैं. आज पटना न्यू म्यूजियम वेली रोड पर कोविड टीका डबल डोज ले चुके युवाओं की हेलमेट लेने के लिए कतार लगी थी. हेलमेट मैन राघवेंद्र कुमार ने 18 वर्ष के ऊपर सभी युवाओं को आमंत्रित कर उन्हें हेलमेट प्रदान किए और ट्रैफिक वॉलिंटियर बनाकर सड़क दुर्घटना के खिलाफ एक दूसरे को जागरूक करने का शपथ दिलाया. और कहां आप सभी युवाओं को सड़क दुर्घटना के खिलाफ भारत के लिए लड़ना है. मीडिया से बात करते हुए हेलमेट मैन ने कहा मेरा देश सड़क हादसों की वजह से मौत के आंकड़ों में विश्व में सबसे ज्यादा हैं. और मैं सपथ ले चूका हूं इन हादसों को रोकने के लिए आखरी सांस तक लड़ता रहूंगा.

सड़क दुर्घटना के खिलाफ लड़ते लड़ते अपनी नौकरी छोड़ कर घर और गांव की जमीन बीवी के गहने बेचकर लोगों तक हेलमेट पहुंचा रहा हूं. आज भी मैं बैंक के 13 लाख के कर्ज में हूं. फिर भी कार्य करने का जुनून मेरा कम नहीं हुआ. भारत में सड़क दुर्घटना से बहुत बड़ी आर्थिक नुकसान होता है. जो लगभग 1 प्रतिशत जीडीपी का हिस्सा सड़क हादसों की वजह से नुकसान होता है. भारत सरकार द्वारा लिए गए विदेशी कर्ज हर साल बढ़ता जा रहा है आज भारत में जन्म लेते ही हर बच्चे के ऊपर 32000 का कर्ज है.जो देश के युवाओं के ऊपर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी बढ़ रही है. हेलमेट मैन भारत के युवाओं को सड़क दुर्घटना से बचाने के लिए पिछले 8 सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं.भारत के सभी राज्यों तक अपना मिशन पहुंचा चुके हैं. सड़क दुर्घटना मुक्त बनाने के लिए भारत के युवाओं को जागरूकता के साथ शिक्षा भी दे रहे हैं.11 लाख पढ़ने वाले जरूरतमंद छात्रों तक निशुल्क पुस्तकें भी पहुंचा चुके हैं. इन पुस्तकों की वजह से कई जगह लाइब्रेरी का निर्माण करा चुके हैं.अपने मिशन के शुरुआती दौर में बच्चों से पुरानी पुस्तक मांगते थे और बदले में हेलमेट दिया करते थे. लेकिन उस समय भारत में छोटे बच्चों के लिए हेलमेट देने का कानून नहीं था जिसकी वजह से कई बार गार्जियन और संस्था के लोग छोटे बच्चों के हाथ में हेलमेट देने का विरोध भी किया करते थे. फिर हेलमेट मैन ने एक याचिका दायर की स्कूली स्तर से भारत में छोटे बच्चों को हेलमेट के प्रति जागरूक किया जाए. जिस तरह से ही स्कूल में ही बैग पुस्तक ड्रेस अनिवार्य किया गया है उसी तरह बच्चों को हेलमेट देने का भी नियम अनिवार्य कर देना चाहिए. इस कानून की 2019 में हेलमेट मैन को सफलता मिली भारत सरकार ने 4 वर्ष के बच्चों के ऊपर हेलमेट का कानून पास कर दिया. इसी मंथ में भारत सरकार द्वारा छोटे बच्चों को लेकर एक और नोटिफिकेशन जारी किया गया है नए नियमों के मुताबिक, मोटर साइकिल पर 9 महीने से 4 साल तक के बच्चों को बैठाकर ले जाने वालों को सेफ्टी हार्नेस बेल्ट लगानी होगी.

4 साल से छोटे बच्चों को दो-पहिया वाहन की सवारी के दौरान क्रैश हेलमेंट पहनना जरूरी है। क्रैश हेलमेट वह हेलमेट होते हैं, जिनमें सिर पूरी तरह से कवर होता है, ना कि सिर्फ टोपी की तरह पहना जाने वाला हेलमेट। ये नए नियम आने के बाद भारत भी उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जहां उम्र के हिसाब से सुरक्षा के उपाय हैं और बच्चों के लिए भी सुरक्षा के उपाय हैं।