नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने हाथरस के कथित सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने के संकेत के साथ गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता, राज्य पुलिस महानिदेशक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, आरोपियों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, पीड़िता के परिजनों की ओर से सीमा कुशवाहा और एक हस्तक्षेपकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वकील इंदिरा जयसिंह ने खंडपीठ के समक्ष दलीलें पेश की।

सुनवाई के शुरू में श्री मेहता ने पीड़िता के परिजनों एवं गवाहों को दी जाने वाली सुरक्षा का ब्योरा पेश किया, जो कल राज्य सरकार के हलफनामा में भी कहा गया था।

इसके बाद पीड़िता के परिजनों की ओर से पेश सीमा कुशवाहा ने मुकदमे को दिल्ली स्थानांतरित करने की वकालत की। साथ ही मामले की सीबीआई जांच की अदालत से निगरानी का भी अनुरोध किया। इस बीच सुश्री जयसिंह ने दलील दी कि मुकदमा कहां चले, यह न्यायालय खुद तय करे और यदि दिल्ली में मुकदमा चलता है तो शीर्ष अदालत खुद या दिल्ली उच्च न्यायालय उसकी निगरानी करे। उन्होंने पीड़ित परिवार को उत्तर प्रदेश पुलिस के बजाय केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सुरक्षा देने की मांग की।